देश की आधी आबादी को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए उनका सशक्त बनना जरूरी है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए हमें उन्हें सुरक्षित वातावरण देना आवश्यक है। महिलाओं के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए शिक्षा, पोषण के साथ-साथ उन्हें सभी प्रकार की जरूरी अन्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पहल कर रही है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर छत्तीसगढ़ में महिला की सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड प्लान तैयार किया जा रहा है। जिसके तहत पुलिस प्रशासन महिला की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और महिला एवं बाल विकास विभाग महिलाओं के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं को इसी एकीकृत प्रणाली के माध्यम से संचालित करेगा। यह महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण के लिए एक बड़ा कदम साबित होगा।
राज्य सरकार की इस विशेष पहल को महिला सशक्तीकरण और सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ संभवत देश में पहला राज्य है जिसने महिला सुरक्षा के लिए इंटीग्रेटेड प्लान तैयार करने जा रही है। इस प्लान में सभी वर्ग की महिलाओं को न केवल सुरक्षा कव्हर देगा बल्कि उन्हें किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करेगा। सरकार ने हाल में ही देश के कई हिस्सों में महिलाओं के प्रति हिंसा और अन्य सामाजिक अपराधों के मद्देनजर राज्य की महिलाओं को भय मुक्त और विकास के सुअवसरों का लाभ दिलाने के लिए इंटीग्रेटेड प्लान बनाने के निर्देश दिए है।। इससे समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा के लिए अच्छा वातावरण बनेगा वहीं महिलाएं सशक्तीकरण के अवसरों को भी भुना सकेंगी।
राज्य में महिलाओं के लिए भय मुक्त वातावरण तैयार करने के लिए गृह विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा इंटीग्रेटेड प्लान बनाया जा रहा है। महिलाओं के प्रति हिंसा और सामाजिक अपराधों में कमी लाने के लिए राज्य में चल रही विभिन्न योजनाओं-कार्यांें को इस प्लान में शामिल कर उनकी मानिटरिंग कर उन्हें और बेहतर बनाया जाएगा। महिलाओं के विकास के लिए सकारात्मक वातावरण बनाने में समाज की भूमिका को भी इस प्लान में शामिल कर इसे प्रभावी बनाया जा सकेगा। महिला सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे इंटीग्रेटेड प्लान में सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे उन्हें तत्काल सहायता और जरूरी मदद मिल सके।
हिंसा और सामाजिक अपराधों से पीड़ित महिलाओं को हर प्रकार से सहायता उपलब्ध कराने के लिए सखी-वन स्टाप सेन्टर राजधानी में कार्यरत है। इस केन्द्र में चिकित्सा, कानूनी सहायता के अलावा अन्य प्रकार की सहायता और मदद दी जाती है। महिलाओं को विपत्ति की स्थिति में दूरभाष के जरिए पुलिस सहायता के लिए टोल फ्री नम्बर 112 कार्यरत है। हाल में ही मुख्यमंत्री ने पुलिस विभाग के अधिकारियों को विपत्ती के समय तत्काल सहायता पहुंचाने के साथ ही उन्हें घर तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं। घरेलू हिंसा और परिवार से मिल रही प्रताड़ना के लिए महिलाओं के लिएं टोल फ्री नम्बर 181 की मदद भी उपलब्ध है। सभी शासकीय कार्यालयों में महिलाओं के साथ होने वाले लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए विशाखा गाईड लाइन के तहत कमेटियां गठित की गई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संकट में महिलाओं की मदद के लिए टोल फ्री नंबर 181 संचालित की जा रही है। साथ ही महिलाओं की मदद के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी शुरू की गई है। घर के भीतर या बाहर किसी भी प्रकार की घटना, प्रताड़ना या संकट होने पर महिलाएं महिला हेल्पलाइन नंबर 181 की मदद ले सकती है। इस नम्बर पर महिलाओं की सहायता के लिए परिवार या पडोस का कोई भी व्यक्ति द्वारा सूचना दी जा सकती है। इस पर विभिन्न सामाजिक सहायता के कार्यक्रमों जैसे विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, आवास योजना के बारे में जानकारी और मार्गदर्शन लिया जा सकता है।
महिलाओं के जीवन को आसान और बेहतर बनाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार न केवल सुरक्षा पर ध्यान दे रही है बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखकर अनेक योजनाएं और कार्यक्रम चला रही है। राज्य में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में 37 प्रतिशत कुपोषण और 41 प्रतिशत महिलाओं में एनीमिया और कुपोषण की गंभीर समस्या के निराकरण के लिए और राज्य को स्वस्थ और समृद्ध छत्तीसगढ बनाने के लिए महात्मा गांधी की 150 जयंती पर सुपोषण अभियान शुरू किया गया है। सरकार ने डी.एम.एफ की राशि खदान प्रभावित जिलों में शिक्षा, पोषण, सहित वहां रहने वाले लोगों की जरूरत के हिसाब से खर्च करने के लिए नई गाईड लाइन जारी की है। ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए सुराजी गांव योजना में महिला स्वसहायता समूहों को गोबर के विभिन्न उत्पादों के आलावा उन्हें दुग्ध उत्पादन सहित अन्य आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है।
सुराजी गांव योजना में ग्रामीण परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए चलाई जा रही इस योजना से महिलाओं को भी सक्षम बनाने में मदद मिलेगी। पंचायती राज और नगर पालिका अधिनियम में हाल से संशोधनों से महिलाओं को भी फायदा मिलेगा। नए प्रावधानों में 21 वर्ष की युवा महिलाओं कों भी नगरीय क्षेत्रों के प्रशासनिक काम काज में हिस्सा बटाने का मौका मिलेगा। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की साक्षर महिलाओं को भी पंचायतों के काम काज में हिस्सेदारी मिलेगी। इन संस्थाओं में 50 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण की सुविधा मिल रही है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में युवा नेतृत्व उभरेगा। राज्य में चलाई जा रही सुपोषण अभियान से महिलाओं के लिंगानुपात में सुधार होगा और बाल मृत्युदर और मातृमृत्यु दर में कमी आएगी। इसके अलावा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही मोबाइल चिकित्सा यूनिट से निःशुल्क इलाज से भी महिलाओं और बच्चों में स्वास्थ्य की पहुंच बढ़ी है।
महिलाओं और बच्चों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने संभवतः देश में पहली बार 12 वीं तक की स्कूली शिक्षा को शिक्षा के अधिकार के दायरे में लाया गया है। इससे महिलाएं सशक्त बनेगी। शिक्षित महिलाओं से संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिलेगा। ग्रामीण और शहरी गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में सहायता राशि 15 से बढ़ाकर 25 हजार रूपए की गई है। काम-काजी महिलाओं के लिए सभी संभाग और जिला मुख्यालायों में महिला हास्टल बनाने सहित अनेक निर्णय लिए गए हैं।
महिला सुरक्षा और सशक्तीकरण का मुद्दा सामाजिक- आर्थिक मसला है, केवल शासकीय प्रयास ही नहीं बल्कि समाज और घर के प्रत्येक परिवार के सदस्य को इस मुद्दे को लेकर जागरूक और संवेदनशील होना पड़ेगा। तभी देश के विकास में महिलाओं की भागीदार बढ़ सकेगी।
लेख – ओम प्रकाश डहरिया
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