Chhattisgarh State

गौठानों में हाईप्रोटीन युक्त अजोला से पशु होंगे सुपोषित

*दुधारू पशुओं के लिए च्यवनप्राश है अजोला*
*कम लागत में ज़्यादा का फायदा पशुओं को मिलेगा अतिरिक्त पोषण*

दुर्ग 5 दिसम्बर 2019/ नरवा गरवा घुरवा और बाड़ी योजना के तहत स्थापित गौठान पशुसंवर्धन की एक नई इबारत लिखने के लिए तैयार हो रहे हैं। गौठान मवेशियों के लिए न केवल सुरक्षित रहवास का रूप ले रहे हैं बल्कि यहां उनकी पर्याप्त देखभाल की व्यवस्था भी की जा रही है। मवेशियों के लिए भरपूर पौष्टिक आहार के इंतजाम के लिए पशुधन विभाग द्वारा यहाँ टंकियां बनाकर अजोला कल्चर तैयार किया जा रहा है। उपसंचालक पशुधन विकास डॉ एम के चावला ने बताया कि शुरुआती चरण में जिले के 10 मॉडल गौठानों में अजोला कल्चर किया जा रहा है। इसके बाद जिले के सभी 224 गौठानों में अजोला कल्चर शुरू करने की योजना है।
*अमलीडीह गौठान में 12 टंकियों में तैयार हो रहा है अजोला* -पाटन तहसील के अमलीडीह गौठान में 400 मवेशियों को आसरा मिला हुआ है। 4 एकड़ के इस गौठान में 1/2 एकड़ में तालाब बना हुआ है।जिससे जलसंवर्धन के साथ साथ मवेशियों को पेयजल की पूर्ति भी करता है।यहां वर्तमान में 12 टंकियों में अजोला कल्चर किया जा रहा है। पशुधन विभाग द्वारा किसानों और पशुपालकों को इसके लाभ के बारे में बताया जा रहा है। ताकि वे अपने पशुओं के लिए कम खर्च में अच्छा पोषण आहार उपजा सकते हैं।अजोला बहुत तेजी से फैलता है। 10 से 15 दिनों में इसकी 10 किलोग्राम फसल तैयार हो जाती है। अजोला में नेपियर घास की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक प्रोटीन होता है। गौठान में पशुओं को सूखे चारे के साथ साथ अजोला भी आहार के रूप में दिया जाएगा।ताकि उनके पोषण स्तर में सुधार हो सके।इससे किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी के साथ साथ राज्य सरकार की पशुसंवर्धन के लिए स्थापित नरवा गरवा घुरुआ बाड़ी योजना को भी मजबूती मिलेगी।
*क्या है अजोला? क्यों कहते हैं इसे पशुओं का च्यवनप्राश*- डॉ चावला ने बताया कि अजोला एक अति पोषक छोटा जलीय फर्न (पौधा) है, जो स्थिर पानी में ऊपर तैरता हुआ होता है। एजोला को घर में हौदी बनाकर, तालाबों, झीलों, गड्ढों, और धान के खेतों में कही भी उगाया जा सकता है। किसान इसको टबों और ड्रमों में भी उगा सकते हैं। यह पौधा पानी में विकसित होकर मोटी हरी चटाई की तरह दिखने लगती है। इसमें प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन व खनिज लवण की मात्रा अधिक होती है। आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी-12 तथा बीटा-कैरोटीन) साथ ही यह कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, आयरन, कॉपर, मैगनेशियम जैसे खनिज लवणों से भरपूर होता है। अजोला एक बेहतरीन पूरक पोषण आहार है जो मवेशियों को अच्छा पोषण देने के साथ साथ उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।इसके पोषक गुणों के कारण इसे पशुओं का च्यवनप्राश भी कहा जाता है। हरा चारा सालभर उपलब्ध नहीं रहता औऱ कई पशुपालक महंगा पशुआहार खिलाने में भी समर्थ नहीं होते।केवल सूखा चारा खाने से पशुओं को पूर्ण पोषण नहीं मिलता और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं और उनके दूध देने की क्षमता भी घट जाती है।दुधारू पशुओं को प्रतिदिन दो किलो तक पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है, अगर पशुपालक सूखा चारा जैसे धान का पैरा, गेहूं का भूसा, आदि के साथ पशुओं को अजोला खिलाएं तो उनकी पोषण की ज़रूरत पूरी की जस सकती है। अगर पशुपालक चाहें तो पशुओं को सालभर हरा आहार अजोला खिलाकर स्वस्थ रखने के साथ ही 20 से 25 प्रतिशत अधिक दूध भी ले सकेंगे। अजोला को उगाने में ज्यादा राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी।अजोला की खेती कर किसान भाई अपने मवेशियों के लिए पौष्टिक चारे के साथ साथ अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं।
*आसानी से पचने वाला आहार है अजोला*- अजोला पशुओं के लिए हाई प्रोटीन और लो लिग्निन वाला आहार है। जिसे पशु आसानी से पचा सकते हैं।इससे पशुओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है। इसे पशुओं के आहार में शामिल करने से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। पशु कम बीमार पड़ते हैं जिससे पशुपालकों पर आर्थिक भार भी कम होता है।
*एक बेहतरीन जैविक खाद भी है अजोला*
अजोला कम कीमत पर उपलब्ध एक बेहतरीन जैविक खाद है। एजोला की पंखुड़ियो में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल पाया जाता है जो सूर्य के प्रकाश में वायुमण्डलीय नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है और हरे खाद की तरह फसल को नाइट्रोजन की पूर्ति करता है। अजोला में नाइट्रोजन की मात्रा 3 से4 प्रतिशत होती है साथ ही इसमें कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं। एजोला को खाद के रूप में उपयोग से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। अजोला हानिकारिक रासायनिक उर्वरकों का एक बेहतरीन विकल्प है।जो मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में मददगार है ।इस खाद के इस्तमाल से उच्च गुणवत्ता के खाद्य पदार्थों की पैदावार ली जा सकती है जिससे सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

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