इकोफ्रेंडली होने की वजह से देश की राजधानी से मिला दो लाख दीयों का आर्डर
गोठानों में जमा होने वाले गोबर के बने दीयों से इस बार दिल्ली की दिवाली रोशन होगी। जी हां, इस दिवाली दिल्ली में चाइनीज दीये, मोमबत्ती व झालर का बोलबाला अपेक्षाकृत कम ही देखने को मिल सकता है क्योंकि पर्यावरण अनुकूल और स्वास्थ्य के लिए बेहतर होने के कारण छत्तीसगढ़ के गोठानों में जमा होने वाले गोबर से बने दीयों की वहां मांग बढ़ गई है।
ऐसे में इस बार प्रदूषण की मार झेल रहे दिल्ली वासियों को कुछ राहत मिलने की भी उम्मीद है। इकोफ्रेंडली (ecofriendly) होने के साथ-साथ लक्ष्मी पूजन, दिवाली में गाय के गोबर का खास महत्व होता है। इसी खास महत्व की वजह से ही गाय के गोबर से बने दीयों की मांग दिल्ली और नागपुर से आई है। पहला आर्डर दो लाख दीयों का है। जिसे स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार किया जा रहा है।
बनचरौदा के स्वसायता समूह की महिलाएं बना रहीं
यह शासन द्वारा नरवा,गरुवा,घुरुवा और बाड़ी विकास योजना की दिशा में उठाये गये कदम का ही परिणाम है कि गोठान के माध्यम से आरंग विकासखंड के ग्राम बनचरौदा के स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा गोबर से बनाई गई कलाकृतियां दिन ब दिन प्रसिद्धि प्राप्त कर रही है।
दीयों के अलावा ये उत्पाद भी बन रहे
इनमें लाल, पीले, हरे एवं सुनहरे सहित आकर्षक रंगों से सजे दीयों के अलावा पूजन सामग्री के रूप में इस्तेमाल होने वाले ओम, श्री, स्वास्तिक के चिह्न, छोटे आकार की मूर्तियां, हवन कुंड, अगरबत्ती स्टैंड, मोबाइल स्टैंड, चाबी छल्ला सहित अनेक उत्पादों का आकर्षण देखते ही बनता है।
छत्तीसगढ़ के गोठानों के गोबर से बने दीयों से रोशन होगी दिल्ली की दिवाली

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