International Internet WEB

गूगल ने की राजनीतिक विज्ञापनों पर सख्ती

सैन फ्रांसिस्को। गूगल ने अपने विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए नियमों को और सख्त बनाया है। गूगल ने यह कदम मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए भ्रामक सूचनाएं फैलाने का जरिया बनने से बचने के लिए उठाया है। इंटरनेट की दुनिया की नामचीन कंपनी का कहना है कि उसके नियमों में पहले से ही किसी विज्ञापन में झूठे तथ्यों केउपयोग पर प्रतिबंध है। इनमें राजनीति से जुड़े संदेश भी शामिल हैं। अब कंपनी ने अपनी नीतियों को और अधिक स्पष्ट किया है और कहा है कि इनमें ऐसे उदाहरण भी शामिल किए गए हैं कि छेड़छाड़ की गई तस्वीरों या वीडियो को किस प्रकार से रोका जाएगा। गूगल के विज्ञापन प्रबंधन विभाग से जुड़े वाइस प्रेसिडेंट स्कॉट स्पेंसर ने कहा, ‘हम यह मानते हैं कि मजबूत राजनीतिक संवाद लोकतंत्र के लिए बेहद जरूरी है और कोई भी हर राजनीतिक दावे, प्रतिदावे व आरोप के सही-गलत की जांच नहीं कर सकता है। इसलिए हमें लगता है कि जिन राजनीतिक विज्ञापनों पर हमारे द्वारा कार्रवाई कि जाएगी, उनकी संख्या काफी कम रहेगी। फिर भी हम स्पष्ट उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाते रहेंगे।’ गूगल के नए प्रावधानों के अंतर्गत विज्ञापनदाता उम्र, लिंग या लोकेशन के हिसाब से अपने ऑडियंस को टार्गेट कर सकेंगे। उन्हें उसी तरह विज्ञापन की अनुमति रहेगी जिस तरह के प्रिंट, रेडियो और टीवी पर विज्ञापन आते हैं। स्पेंसर ने बताया कि एक सप्ताह में इन बदलावों को ब्रिटेन में लागू कर दिया जाएगा। साल के अंत तक पूरे यूरोपीय संघ में और छह जनवरी से शेष दुनिया में इन बदलावों को प्रभावी किया जाएगा। स्पेंसर ने कहा, ‘किसी भी विज्ञापनदाता के द्वारा झूठा दावा करना हमारी नीति के सख्त खिलाफ है। विज्ञापन में चाहे किसी कुर्सी की कीमत गलत बताई गई हो या ऐसा विज्ञापन हो कि चुनावन टल गया है, किसी उम्मीदवार की मौत हो गई है या दावा किया जाए कि एसएमएस भेजकर मतदान किया जा सकता है, इन सब पर प्रतिबंध है।’ कंपनी की ओर से दिए गए उदाहरणों में कुछ प्रतिबंधित किए गए विज्ञापन और लिंक रखे गए हैं, जिनमें ऐसे झूठे दावे किए गए थे, जो मतदान के समय लोगों के विचारों में बदलाव की वजह बन सकते हैं। फेसबुक, ट्विटर और स्नैपचैट जैसे तमाम ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपने यहां राजनीतिक विज्ञापनों पर सख्त रवैया अख्तियार कर रहे हैं। ट्विटर ने अपने प्लेटफॉर्म पर सभी राजनीतिक विज्ञापनों पर प्रतिबंध की बात कही है। हालांकि पिछले हफ्ते ट्विटर ने स्पष्ट किया था कि सामाजिक या पर्यावरण के मुद्दों से जुड़े अर्थपूर्ण (कॉज बेस्ड) संदेशों को नहीं रोका जाएगा। स्नैपचैट ने भी भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने की घोषणा की है। फेसबुक की नीतियां इस मामले में सबसे कमजोर मानी जा रही हैं।

Live Videos

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0511168