बिलासपुर रेल मंडल के कोचिंग डिपो में एक ऐसा सेलून (निरीक्षण यान) तैयार किया गया है, जिसमें लगा एसी सोलर पैनल से चलेगा। भारतीय रेलवे में यह पहला प्रयोग है। 6.8 किलोवाट के इस सौर ऊर्जा आधारित विद्युत प्रणाली से लगभग 1.60 लाख रुपये की सालाना बचत होगी। रेलवे बोर्ड द्वारा निरीक्षण यानों को प्रीमियम टूरिस्ट यातायात के रूप में उपयोग करने की योजना बनाई गई है। इसके तहत टूरिस्ट की अतिरिक्त सुविधा के लिए इसमें दो अतिरिक्त एसी लगाने की योजना है। परंपरागत तरीके से अतिरिक्त एसी के लिए लगभग 17 लाख रुपये के विद्युत उपकरण की आवश्यकता होती है। इस कार्य को कम लागत में पूरा करने के लिए मंडल के निरीक्षण यान 03876 में 6.8 किलोवाट की सौर ऊर्जा आधारित विद्युत प्रणाली लगाई गई है। इसका अनावरण कोचिंग डिपो बिलासपुर में बुधवार को मंडल रेल प्रबंधक आर. राजगोपाल ने किया। इस अवसर पर वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर आर. रंगाराव, वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर पीएन खत्री, वरिष्ठ कोचिंग डिपो अधिकारी शुभम वर्मा, सहायक मंडल विद्युत अभियंता(रोलिंग स्टाक) एके श्रीवास्तव सहित उपस्थित थे। रेलवे का दावा है कि भारतीय रेलवे में निरीक्षण यान में सोलर पैनल लगाने का यह पहला प्रयोग है, जिससे एसी चलेगा।
पांच लाख की लागत – इस प्रणाली की लागत केवल पांच लाख रुपये है। रेलवे का मानना है कि लागत की राशि तीन वर्षों में उपयोग से वापस प्राप्त कर ली जाएगी। इसके उपयोग की अवधि 20 वर्ष है। इसके कई फायदे भी हैं। प्रीमियम टूरिस्ट यातायात के दौरान कई विद्युत उपकरणों का उपयोग आसानी से किया जा सकेगा। बाहरी चार्जिंग की आवश्यकता नहीं होगी। इसलिए इसे टूरिस्ट की सुविधानुसार स्टेशनों के किसी भी प्लेटफार्म में खड़ा किया जा सकता है। साथ ही ग्रीन व क्लीन एनर्जी होने के कारण प्रदूषण कम होगा।
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