आंगनबाड़ियों में कुपोषित बच्चों की भोजन व्यवस्था की रोज होगी ट्रैकिंग व्हाट्सएप ग्रुप में रोज अधिकारी शेयर करेंगे फोटोग्राफ 1 बजे तक देनी होगी जानकारी…
दुर्ग। सभी एसडीएम, नगरीय निकायों के आयुक्त एवं सीएमओ तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी एवं सभी परियोजना अधिकारी तथा सुपरवाइजर मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत मध्यम कुपोषित एवं गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्रों में खिलाए जाने वाले भोजन की व्यवस्था की मॉनिटरिंग करेंगे। साथ ही वे एनीमिक गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को भी दिए जाने वाले भोजन की व्यवस्था की मॉनिटरिंग करेंगे। यह निर्देश कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने समीक्षा बैठक में दिए। कलेक्टर ने कहा कि इसके लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाएं। इसमें 1:00 बजे तक सभी केंद्रों में भोजन व्यवस्था के फोटोग्राफ जिसमें बच्चों को कुपोषित बच्चों को खाना खाते हुए एवं एनीमिक शिशुवती तथा गर्भवती महिलाओं को खाना खाते हुए दिखाया जाएगा, साझा किए जाएंगे। कलेक्टर ने कहा कि इसके लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी रोस्टर तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि बीते हुए दिनों में तीनों ब्लॉकों के आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। यहां मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक किया जा रहा है। मैंने देखा कि यहां कुपोषित बच्चों को खाना खिलाया जा रहा है साथ ही एनीमिक गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। सभी केंद्रों में इस तरह की अच्छी व्यवस्था बनी रहे इसके लिए अधिकारियों द्वारा उचित मॉनिटरिंग भी बेहद आवश्यक है इसके लिए हमने निर्णय लिया है कि व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े अधिकारी एक शेड्यूल के मुताबिक एक आंगनबाड़ी केंद्र का फोटोग्राफ दें। यहां निरीक्षण करें तथा व्यवस्था की मॉनिटरिंग करें। कलेक्टर ने कहा कि गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को कुपोषण के दायरे से बाहर लाने के लिए पोषण के साथ ही चिकित्सकीय प्रयास भी आवश्यक है। इसके लिए उन्हें आंगनबाड़ियों में बेहतर खाने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से दिया जाने वाला इलाज भी आवश्यक है। इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करें। साथ ही यह भी देखें कि एनआरसी में जिन कुपोषित बच्चों को लाया गया है उन्हें तब तक एनआरसी में रखा जाए जब तक वह पूरी तौर पर पोषण के दायरे में ना आ जाए। होता यह है कि 15 दिन की अवधि के बाद जब उनका वजन बढ़ जाता है तो उन्हें उनके अभिभावक अपने साथ ले जाते हैं कुछ बच्चे इस अवधि में भी पूरी तरह पोषित नहीं हो पाते लेकिन इससे पोषण अभियान के असल लक्ष्य पूरे नहीं हो पाते। हमारा मकसद बच्चे को अंतिम रूप से पोषित करना है ताकि घर जाने के बाद भी किसी तरह की दिक्कत ना आए तो यह कोशिश करें कि बच्चा तभी पोषण पुनर्वास केंद्र से बाहर जाए जब वो पूरी तौर पर पोषित हो जाए। कलेक्टर ने यह भी कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्ताह में दिए जाने वाले फल एवं अतिरिक्त आहार जिला प्रशासन द्वारा दिए जा रहे हैं उनकी भी उचित रूप से मानिटरिंग हो सके ताकि सुपोषण मिशन के लक्ष्यों को अच्छी तरह से पूरा किया जा सके। अगर लगातार और बेहतर मॉनिटरिंग हुई तो हम पोषण मिशन के लक्षणों को और प्रभावी रूप से प्राप्त करने में सफल होंगे इसके लिए सभी अधिकारियों की, सभी सुपरवाइजर की, परियोजना अधिकारियों की अहम भूमिका होगी।
आश्रम छात्रावासों में बच्चों को मिले चादर गद्दे यह सुनिश्चित करें- कलेक्टर ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास से आश्रम छात्रावास की व्यवस्था के संबंध में पूछा। उन्होंने कहा कि आश्रम छात्रावासों में किसी भी तरह से बुनियादी सुविधाओं की कमी नहीं होनी चाहिए। वहां पर बच्चों के लिए पर्याप्त गद्दे, चादर आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही आश्रम छात्रावासों के शौचालय आदि की भी जहां पर मरम्मत की जरूरत हो, वहां पर मरम्मत की जाए। उन्होंने कहा कि जहां पर संधारण की जरूरत है वहां पर संधारण का कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित किया जाना सबसे अहम है। एक सप्ताह के भीतर सभी केंद्रों में सभी आश्रम छात्रावासों में कहां-कहां पर किस प्रकार की कमियां है। जिस प्रकार की कमी है उसे दूर कर लिया जाए। कलेक्टर ने सफाई व्यवस्था के बारे में भी अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गोकुलधाम की व्यवस्था बेहतर की जाए। शहरों में सफाई की व्यवस्था नियमित रूप से मॉनिटर होती रहे सुपरवाइजर जो सफाई के लिए नियुक्त किए गए हैं वे समय पर रिपोर्ट करें। जहां जहां पर जनता से शिकायतें मिल रही हैं उनके फीडबैक पर तुरंत कार्रवाई की जाए। जितनी जल्द शिकायतों का निराकरण होगा उतना ही जनसहयोग भी स्वच्छता के लिए बढ़ेगा और इससे लोगों की शिकायतें भी दूर होंगी और व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में भी मदद मिलेगी।
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