छत्तीसगढ़ के चर्चित इब्राहिम-अंजलि प्रेम विवाह मामले में अंततः बुधवार को अंजलि जैन को राजधानी रायपुर के सखी सेंटर से रिहा कर दिया गया है.
वे सखी सेंटर से मुक्त होने के बाद अपने पति आर्यन आर्य ऊर्फ़ मोहम्मद इब्राहीम सिद्दीक़ी के साथ रवाना हो गईं.
वे पिछले नौ महीने से राज्य सरकार द्वारा संचालित सखी सेंटर में रह रही थीं, जहां उन्होंने अपने को बंधक की तरह रखे जाने का आरोप लगाया था.
सखी सेंटर से बाहर आने के बाद अंजलि जैन ने कहा, “ये केवल मेरी व्यक्तिगत स्वतंत्रता और अधिकारों की जीत भर नहीं है. यह देश और दुनिया भर की उन सभी लड़कियों और महिलाओं की जीत है, जिनको इस पुरुष प्रधान समाज और कुव्यवस्था ने हमेशा क़ैद करना चाहा है.”
अंजलि ने अपने पिता अशोक जैन से जान का ख़तरा बताते हुए प्रशासन से सुरक्षा की मांग भी की.
तीन दिन से धारा 144
अंजलि जैन की रिहाई से पहले मंगलवार को सुबह से ही सखी सेंटर के इलाक़े में सुरक्षा के भारी इंतज़ाम किए गए थे.
विरोध-प्रदर्शनों की आशंका के कारण कई जगह बैरिकेडिंग की गई थी. इसके अलावा पिछले तीन दिनों से उस इलाक़े में धारा 144 लागू कर दिया दिया था.
रायपुर के पुलिस अधीक्षक शेख़ आरिफ़ हुसैन और महिला एवं बाल-विकास के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में उनकी रिहाई की प्रक्रिया पूरी की गई.
ग़ौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के धमतरी की रहने वाली अंजलि जैन की छोटी बहन की चिट्ठी के आधार पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था.
इसके अलावा अंजलि के परिजनों की ओर से भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं. अंजलि जैन ने अपनी ओर से भी हाईकोर्ट को एक चिट्ठी भेजी थी.
अंजलि के पिता की सुप्रीम कोर्ट में याचिका
इन सब पर सुनवाई के बाद शुक्रवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंजलि जैन को अपनी मर्ज़ी के व्यक्ति के साथ और अपनी मर्ज़ी की जगह में रहने का फ़ैसला सुनाया था.
इसके बाद रविवार को अंजलि जैन की रिहाई की तारीख़ तय की गई थी.
लेकिन क़ानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं हो पाने का हवाला देते हुए अंजलि की रिहाई टल गई थी.
इस बीच अंजलि के पिता अशोक जैन ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए नये सिरे से शपथपत्र देते हुए अंजलि के पति और राज्य सरकार के अफ़सरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
इस मामले की सुनवाई इसी सप्ताह होने की उम्मीद है.
आर्य समाज मंदिर में शादी
छत्तीसगढ़ के धमतरी के रहने वाले 33 वर्षीय मोहम्मद इब्राहीम सिद्दीक़ी और 23 वर्षीय अंजलि जैन ने दो साल की जान-पहचान के बाद 25 फ़रवरी 2018 को रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी.
इब्राहीम का दावा है कि उन्होंने शादी से पहले हिंदू धर्म अपना लिया था. इसके बाद उन्होंने अपना नाम आर्यन आर्य रखा था.
इसके बाद अंजलि के परिजन उन्हें अपने साथ ले गए थे, जिसपर आपत्ति करते हुये आर्यन आर्य ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए न्यायालय से अपनी पत्नी अंजलि जैन को वापस किए जाने की गुहार लगाई.
लेकिन छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अंजलि जैन को सोच-विचार के लिए समय देते हुये छात्रावास में या माता-पिता के साथ रहने का आदेश पारित करते हुए मामले को ख़ारिज कर दिया.
अंजलि जैन ने तब माता-पिता के साथ रहने के बजाय छात्रावास में रहना तय किया था. इसके बाद इब्राहीम ने हाईकोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
फ़रवरी में मामले में नया मोड़
पिछले साल अगस्त में अंजलि को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया, जहां अंजलि ने अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई.
अंजलि के अदालत के बयान के बाद मान लिया गया कि मामला ख़त्म हो गया है.
लेकिन फ़रवरी में इस मामले में फिर नया मोड़ आया. अंजलि का दावा है कि घर लौटने के बाद उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पिता ने उन्हें ऐसी दवाइयां खिलानी शुरू कर दीं, जिससे वे लगातार बीमार रहने लगीं.
अंजलि के अनुसार उन्होंने किसी तरह राज्य के पुलिस महानिदेशक का नंबर हासिल किया और फिर उन्हें फ़ोन कर पिता की प्रताड़ना से मुक्ति के लिए गुहार लगाई, उनसे घर से छुड़ाने का अनुरोध किया.
इसके बाद पुलिस ने उन्हें घर से मुक्त कराया और रायपुर के सखी सेंटर में उन्हें रखा गया. जहां वे पिछले नौ महीने से रह रही थी.इस बीच सखी सेंटर में भी अंजलि ने परिवारजनों, हिंदू संगठनों और अधिकारियों पर ख़ुद को प्रताड़ित किये जाने का आरोप लगाया.
अंजलि और आर्यन को लेकर एक के बाद एक स्थानीय अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर अंतिम सुनवाई होना बाक़ी है.
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