कोरबा जिले के 76 गौठानों में पैरादान संकल्प बना अभियान
कोरबा जिले की कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल की दूरदृष्टि और सभी 76 गौठानांे के संचालन के लिये सबसे मुख्य घटक पैरा की भरपूर व्यवस्था के लिये तैयार की गई कार्ययोजना अब एक अभियान बन चुकी है। जिले में धान फसल की कटाई के बाद गौठानों में पैरादान करने के लिये अब तक दस हजार से अधिक किसानांे ने शपथ ले ली है और संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिये हैं। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के महत्वकांक्षी कार्यक्रम- नरवा, गरूआ, घुरवा, बाड़ी को सफल करने के लिये घटकवार योजना तैयार कर उस पर अमल शुरू किया है। योजना के तहत् जिले मंे स्थापित 76 गौठानों मंे आने वाले दिनों में पशुओं को डे-केयर के रूप मंे भोजन उपलब्ध कराने के लिये चारे के साथ-साथ बड़ी मात्रा में पैरे की आवश्यकता की पूर्ति ग्रामीणों से ही की जानी है। फसल कटाई के बाद छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों की तरह ही किसान खेतों में पैरा या फसल अवशेषों को जला देते हैं। कलेक्टर श्रीमती कौशल ने अपने क्षेत्रीय भ्रमण के दौरान ग्रामीणों से मुलाकात कर पैरा को खेतों में जलाने की बजाय गौठानों में दान करने की अपील की। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को भी अधिक से अधिक किसानों से मिलकर फसल कटाई के बाद पैरा को उनके ही पशुओं को खिलाने के लिये गौठानों में दान कराने के लिये जागरूक करने के निर्देश दिये।
कलेक्टर की इस पहल का अब सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगा है। पिछले एक सप्ताह में ही सभी पॉंचों विकासखण्डों के लगभग 60 गावों में गौठानों में पैरादान के लिये प्रभातफेरियॉं, रैलियॉं, बैठकें आदि आयोजित की जा चुकी हैं। इनमंे किसानों को खेतों मंे पैरावट नहीं जलाने और पैरा को गौठानों में दान करने की समझाईश दी गई है। जिले के सेमरकछार, पोड़ी, केराझरिया, सेन्द्रीपाली, वि.खं.-पाली, भंवर, कोरबी वि.खं.-पोड़ीउपरोड़ा, उमरेली, ढोंढ़ातराई, कनकी वि.खं.-करतला, कोरई, अमरपुर, धवईंपुर वि.खं.-कटघोरा, मदनपुर, जामबहार वि.खं.-कोरबा सहित 60 गांवों में खेतों में पैरा को जलाने से होने वाले प्रदूषण और जमीन का होने वाले नुकसान की जानकारी मिलने पर किसानों ने भी अब खेतों में पैरा जलाने से तौबा कर ली है। पैरादान के संकल्प अभियान में दीवार लेखन ने भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिला पंचायत की एपीओ सुश्री प्रीति पवार के सृजित नारे गांव-गांव में आसानी से दिखने वाली जगहों चौक-चौराहों, ग्राम पंचायतों और सड़कों के किनारे के घरों की दीवारों पर पैरादान के लिये आह्वाहन करते किसानों को प्रेरित कर रहे हैं। अधिकांश किसानों ने मौके पर ही पैरादान करने के लिये संकल्प लिया है और संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर कर गौठानों में पैरादान करने के लिये अपनी सहमति फसल कटाई के पहले ही दे दी है। इन किसानों से लगभग 3 लाख क्विंटल पैरा गौठानों के लिये मिल सकेगा। गौठानों में आने वाला यह पैरा गांव के पशुओं को हरे चारे के साथ मिलाकर खाने के लिये दिया जायेगा। इसके साथ ही पैरा जलाने से होने वाले प्रदूषण से भी लोगों को मुक्ति मिलेगी।
पैरादान संकल्प के इस अभियान में ग्राम पंचायत स्तरों पर गठित महिला स्व सहायता समूहों की भी सहायता ली जा रही है। गांवांे में महिलाओं को पैरादान के प्रति जागरूक करने का काम यही स्व सहायता समूहों की दीदियॉं कर रही हैं। गौठानों में आने वाले पैरा को सुरक्षित रखने के लिये भी पर्याप्त इंतजाम किये जा रहे हैं। मचान बनाकर पैरा को रखने की व्यवस्था, बारिश आदि की स्थिति में ढॅंकने के लिये तारपोलिन की भी व्यवस्था की जा रही है। पैरा रखने के चबूतरे के चारों ओर बाड़ों का भी निर्माण किया गया है। पैरा को जानवरों को खिलाने के लिये कटिंग मशीन की भी व्यवस्था गौठानों में की गई है। गौठानों से संबद्ध चारागाहों में भी हरे चारे की फसलें तैयार हो गई हैं। किसानों से दान में मिले पैरा को इसी हरे चारे के साथ मिलाकर पशुओं को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की तैयारी जिला प्रशासन द्वारा कर ली गई है। गौठानों के संचालन के लिये गौठान समितियों का गठन कर उसके सदस्यों को पर्याप्त प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। गौठान संचालन समितियों के सदस्यों को रोजगार मूलक गतिविधियों से जोड़ने के लिये भी भरपूर प्रयास किये जा रहे हैं। सब्जियों की खेती के साथ-साथ अन्य रोजगार मूलक गतिविधियों से भी समिति के सदस्यों को जोड़ा जा रहा है। फसल कटाई के बाद जनसहयोग से गौठान में पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता बढ़ाने तथा धान कटाई और मिंजाई के बाद पैरे को बंडल बनाकर गौठानों तक पहुॅंचाने के लिये भी स्व-सहायता समूहों की मदद ली जायेगी।
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