National

राहुल गांधी के कृषि क़ानूनों पर धमकी वाले दावे को लेकर अरुण जेटली के बेटे ने दिया जवाब

राहुल गांधी के कृषि क़ानूनों पर धमकी वाले दावे को लेकर अरुण जेटली के बेटे ने दिया जवाब

2 अगस्त 2025

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली पर दिए एक बयान के कारण बीजेपी के निशाने पर आ गए हैं.

शनिवार को राहुल गांधी ने एक कार्यक्रम में कहा कि जब वह सरकार के लाए तीनों कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे थे, उस वक्त अरुण जेटली ने उन्हें धमकाया था.

उनके इस दावे पर अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि सरकार क़षि क़ानून साल 2020 में लाई थी और उनके पिता अरुण जेटली का देहांत साल भर पहले 2019 में हो गया था.

राहुल गांधी के इस बयान को लेकर कुछ बीजेपी नेताओं और मंत्रियों ने भी उन्हें घेरा है और उनके इस बयान को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना और बेबुनियाद बताया है.

राहुल गांधी ने क्या कहा?

शनिवार को राहुल गांधी लीगल कॉन्क्लेव 2025 के सालाना कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इस दौरान उन्होंने अरुण जेटली का ज़िक्र किया.

उन्होंने कहा, “मुझे याद है जब मैं कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहा था. वो आज दुनिया में नहीं है, मुझे ये नहीं कहना चाहिए, लेकिन मैं कहूंगा. मुझे धमकाने के लिए अरुण जेटली जी को मेरे पास भेजा गया था.”

अरुण जेटली के बारे में उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझसे कहा कि अगर आप इस रास्ते पर चलेंगे, सरकार का विरोध करेंगे और कृषि क़ानूनों पर हमसे लड़ेंगे तो हमें आपके ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी पड़ेगी. मैंने उन्हें देखा और कहा कि आपको मुझे नहीं लगता आपको पता है आप किससे बात कर रहे हैं. मैंने कहा आपको कोई आइडिया नहीं है कि आप किससे बात कर रहे हैं.”

अरुण जेटली के बेटे रोहन क्या बोले?

रोहन जेटली ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “राहुल गांधी अब दावा कर रहे हैं कि कृषि क़ानूनों को लेकर मेरे पिता अरुण जेटली ने उन्हें धमकाया था.

उन्होंने आगे लिखा, “मैं राहुल गांधी को याद दिलाना चाहता हूं कि कृषि क़ानून 2020 में लाए गए थे, जबकि मेरे पिता का निधन 2019 में हुआ था. इससे भी ज़्यादा अहम बात ये कि किसी को धमकाना मेरे पिता के स्वभाव में था ही नहीं, भले ही उस व्यक्ति के विचार अलग हों.”

उन्होंने अपने पिता अरुण जेटली के बारे में लिखा, “मेरे पिता लोकतंत्र में भरपूर आस्था रखते थे और आम सहमति बनाने में भरोसा रखते थे. अगर राजनीति में कभी ऐसा मौक़ा, जैसा आम तौर पर होता है, तो वो सभी पक्षों को खुली चर्चा के लिए आमंत्रित करते ताकि एक ऐसे समाधान तक पहुंचा जा सके जो सभी को स्वीकार्य हो. यही उनके व्यक्तित्व की पहचान थी और यही आज उनकी विरासत है.”

रोहन जेटली ने राहुल गांधी से गुज़ारिश की कि वो उन लोगों का ज़िक्र करते वक्त ज़रा संयम बरतें जो अब दुनिया में नहीं है.

उन्होंने लिखा, “राहुल गांधी से मैं गुज़ारिश करना चाहता हूं कि जो लोग हमारे बीच नहीं है उनके बारे में बात करते हुए संयम बरतें. उन्होंने कुछ ऐसा ही मनोहर पर्रिकर जी के साथ भी किया था, उन्होंने उनके आख़िरी दिनों का राजनीतिकरण किया था जो दुर्भाग्यपूर्ण था. जो दुनिया से विदा ले चुके हैं, उन्हें शांति से रहने दें.”

बीजेपी ने राहुल गांधी को घेरा

वित्त मंत्री ने सोशल मीडिया पर लिखा कि इस तरह का ग़ैर-ज़िम्मेदाराना नेतृत्व न केवल कांग्रेस को बल्कि देश को भी नुक़सान पहुंचाता है
राहुल गांधी के बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उनपर हमलावर रुख़ अपनाया है.

बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के इस बयान पर कहा कि राहुल गांधी झूठ बोलते हैं और प्रोपेगैंडा करते हैं.

उन्होंने कहा, “वे जो भी कहते हैं वह सब झूठ है, दिन, हफ्ते, महीने, साल बीत गए. कोई बदलाव नहीं, हर दिन एक नया झूठ, हर दिन एक नया प्रोपेगैंडा. कब तक देशवासियों को भ्रमित करेंगे और कांग्रेस कब तक भ्रमित रहेगी.”

उन्होंने सवाल किया, “24 अगस्त 2019 को अरुण जेटली का निधन हो गया और कृषि कानून 17 सितंबर 2020 और 20 सितंबर 2020 को लोकसभा और राज्यसभा में आए और स्वीकृत हुए. जब बिल बाद में आया तो अरुण जेटली धमकी देने कब आ गए?”

अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी को इसके लिए अरुण जेटली के परिवार, बीजेपी और पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.

कुछ यही बात बीजेपी के प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखी है.

उन्होंने लिखा, “ग़लत और भ्रामक बयान देना राहुल गांधी की आदत बन चुकी है. राजनीतिक हताशा में अब वह उन लोगों को भी नहीं बख़्श रहे हैं जो हमारे बीच नहीं हैं.”

उन्होंने लिखा, “दो बार तथ्यात्मक रूप से ग़लत बयान देने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से फटकार मिली है, इसके बावजूद वो सबक लेने को तैयार नहीं हैं.”

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है.

उन्होंने राहुल गांधी का वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि अगर गै़र-ज़िम्मेदारी का कोई चेहरा है तो वो हैं राहुल गांधी.

उन्होंने लिखा, “सार्वजनिक जीवन से जुड़े लोगों पर, यहां तक कि जो अब इस दुनिया में नहीं हैं, उन पर भी बेबुनियाद आरोप लगाना अब उनके स्वभाव का हिस्सा बनता जा रहा है. अरुण जेटली पर दिया उनका बयान निंदनीय है.”

उन्होंने लिखा, “भारत को एक मज़बूत विपक्षी पार्टी की ज़रूरत है. लेकिन ग़ैर-ज़िम्मेदाराना नेतृत्व न केवल कांग्रेस को बल्कि देश को भी नुक़सान पहुंचाता है. लेकिन क्या उन्हें इसकी परवाह है?”

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा कि राहुल गांधी ने सार्वजनिक जीवन में न्यूनतम स्तर की सभी मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता स्व. अरुण जेटली जी अब हमारे बीच नहीं हैं. मगर, राहुल गांधी की अपरिपक्वता और बचपने से भरी घृणित मानसिकता ने कृषि कानूनों से जुड़े तथ्यों को छोड़कर अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए स्व. अरुण जेटली जी के नाम पर झूठ फैलाने का असंवेदनशील काम किया है.”
राहुल गांधी के पुराने बयान

अरुण जेटली की तस्वीर पर फूल अर्पित करते बीजेपी नेता

इससे पहले एक मौक़े पर मुंबई के शिवाजी पार्क में एक सभा में राहुल गांधी ने कहा था कि अरुण जेटली ने उन्हें ज़मीन अधिग्रहण के मामले पर बोलने से मना किया था.

इसका वीडियो मार्च 2024 में कांग्रेस ने खुद अपने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर शेयर किया था.

उस समय राहुल गांधी ने कहा था, “बीजेपी सरकार बनी तो अरुण जेटली मेरे पास आए और कहा कि ज़मीन अधिग्रहण के मामले पर मत बोलो. मैंने कहा- क्यों न बोलूं? ये जनता का मामला है. उन्होंने कहा- अगर बोलोगे तो हम तुम्हारे ऊपर केस करेंगे. मैंने भी कहा- लगाइए केस, मुझे फर्क नहीं पड़ता. ईडी ने 50 घंटे पूछताछ की और एक अफ़सर ने मुझसे कहा- आप किसी से नहीं डरते हैं, आप नरेंद्र मोदी को हरा सकते हैं.”

इससे पहले 2019 जनवरी में जब बीजेपी नेता और गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर बीमार थे तो राहुल गांधी उनसे मुलाक़ात करने गए थे. इसके बाद राहुल गांधी ने दावा किया कि मनोहर पर्रिकर ने उनसे कहा था कि रफ़ाल मामले में उनका कोई हाथ नहीं था.

राहुल गांधी के इस दावे पर मनोहर पर्रिकर ने जवाब दिया और एक खत जारी कर कहा कि “मुझे बहुत बुरा लग रहा है कि आपने इस मुलाकात को अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल किया. आपने जो पांच मिनट मेरे साथ बिताए, उनमें रफाल के बारे में कोई बात नहीं हुई.”

इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि वो नहीं चाहते थे कि मनोहर पर्रिकर को कोई जवाब दें लेकिन चूंकि उनके नाम पर्रिकर का ख़त सार्वजनिक हो गया है इसलिए उनके लिए ज़रूरी हो गया है कि वो अपनी स्थिति स्पष्ट कर दें.

कृषि क़ानूनों का इतिहास

दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन करते किसान

3 जून 2020 को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें कृषि और किसानों से जुड़े कुछ फ़ैसले लिए गए.

कैबिनेट ने आवश्यक वस्तु (संशोधन) ऑर्डिनेंस 2020, कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) ऑर्डिनेंस 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर क़रार ऑर्डिनेंस 2020 को मंज़ूरी दी.

5 जून 2020 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन पर मुहर लगाई और ये तीन ऑर्डिनेंस जारी किए. इनके साथ ही सरकार की तरफ से दावा किया या कि कृषि व्यवस्था में इनके ज़रिए सुधार होंगे और किसानों के लिए महामारी के दौरान अपनी उपज बेचना आसान होगा.

इसके बाद 14 सितंबर 2020 को तत्कालीन केंद्रीय कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेंद्र तोमर और उपभोक्ता मामलों के मंत्री रावसाहेब पाटिल दानवे ने ये तीन कृषि विधेयक लोक सभा में पेश किये.

सरकार का कहना था कि इन विधेयकों को लोकसभा में पेश करने से पहले 5 जून 2020 और 17 सितंबर 2020 के बीच किसान प्रतिनिधियों और इससे जुड़े अन्य स्टेकहोल्डर्स से चर्चा की गई थी.

17 सितंबर 2020 को लोकसभा में और 20 सितंबर 2020 को राज्यसभा में ये बिल पास हो गए.

कृषि बिल के पेश होने के बाद इसे लेकर विरोध शुरू हुआ. अधिकतर उत्तरी राज्यों, ख़ासकर पंजाब के किसानों ने इसका विरोध करना शुरू किया.

इन तीन क़ानूनों का विरोध करते हुए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी कैबिनेट से इस्तीफ़ा दिया. उनकी पार्टी शिरोमणि अकाली दल लंबे समय से बीजेपी की सहयोगी पार्टी थी. उन्होंने कहा कि ‘पंजाब और हरियाणा के किसान इससे ख़ुश नहीं हैं.’

सितंबर और अक्तूबर 2020 में उस वक्त पंजाब के सीएम रहे अमरिंदर सिंह और किसान नेताओं के प्रतिनिधित्व में राज्य के कई रैलियां आयोजित की गई.

इसके बाद नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर इकट्ठा होने लगे. किसानों ने सीमा के पास डेरा डालकर विरोध शुरू कर दिया और इस बीच सरकार किसानों से बात करने की कोशिशें करती रही.

लंबे विरोध के बाद, एक साल बाद 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया और तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा की.

उन्होंने कहा, ”हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए. कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि क़ानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया.”

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.facebook.com/IndianJournalistAssociation/

Add Comment

Click here to post a comment

Follow us on facebook

Live Videos

Breaking News

Advertisements

Advertisements

Recent Posts

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0641120