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गणेशोत्सव पर गुढ़ियारी में छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन, नंदा जाही का रे थीम पर सजाया पंडाल, 14 सितंबर को भव्य कवि सम्मेलन, मीर अली मीर और अन्य दिग्गज कवियों की प्रस्तुतियाँ

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नंदा जाही का रे थीम पर सजा पहाड़ी चौक गुढ़ियारी का गणेश पंडाल, रायपुर में सांस्कृतिक धरोहर का अद्भुत प्रदर्शन

गणेशोत्सव पर गुढ़ियारी में छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति का अद्भुत प्रदर्शन, नंदा जाही का रे थीम पर सजाया पंडाल

14 सितंबर को भव्य कवि सम्मेलन, मीर अली मीर और अन्य दिग्गज कवियों की प्रस्तुतियाँ

रायपुर: 12 सितंबर 2024। गणेशोत्सव की रौनक इस वर्ष पूरे छत्तीसगढ़ में जोरों पर है, और रायपुर के गुढ़ियारी स्थित पहाड़ी चौक का गणेश पंडाल अपने अनूठे और भव्य थीम के चलते पूरे प्रदेश में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इस वर्ष इस पंडाल की सजावट छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गीतकार मीर अली मीर की लोकप्रिय रचना ‘नंदा जाही का रे’ पर आधारित है। यह गीत छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति और ग्रामीण जीवन की सरलता का जीवंत चित्रण है, जिसे इस बार पंडाल की थीम में बखूबी उकेरा गया है।

लोकगीत और परंपरा का मिलन- ‘नंदा जाही का रे’ छत्तीसगढ़ी लोकगीतों में एक अमर रचना है, जो प्रदेश के ग्राम्य जीवन, प्रेम और संस्कृति को अभिव्यक्त करती है। इस गीत का विशेष महत्व यह है कि यह छत्तीसगढ़ की जनभावनाओं और सांस्कृतिक धरोहर को संजोए हुए है। इसी भावना को जीवंत करने के लिए गुढ़ियारी के पहाड़ी चौक के गणेश पंडाल में इस गीत को थीम बनाया गया है। सजावट में छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जो लोक परंपरा को जीवंत करती है और लोगों को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश देती है।

सजावट की खासियत – इस गणेश पंडाल में छत्तीसगढ़ के ग्राम्य जीवन की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई है। मिट्टी के घर, हरे-भरे खेत, बैल, हल और ग्रामीण झोपड़ियां सजावट का हिस्सा हैं। जो छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति और उसकी सादगी को दर्शाते हैं। गणेश जी की प्रतिमा भी पारंपरिक छत्तीसगढ़ी परिधान में सजाई गई है। जिससे पूरे पंडाल में लोकजीवन का अनूठा संगम देखने को मिलता है। पंडाल के चारों ओर ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखते हुए सजावट की गई है। जिसमें छत्तीसगढ़ की मिट्टी की महक और उसकी सांस्कृतिक समृद्धि को विशेष रूप से उभारा गया है।

सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का संदेश – गणेशोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं को संजोने का भी एक माध्यम बनता जा रहा है। रायपुर के इस पंडाल ने न केवल धार्मिक आस्था को मजबूती दी है, बल्कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति को एक नए आयाम के साथ प्रस्तुत किया है। इस प्रकार का आयोजन हमें अपनी परंपराओं और लोककला से जुड़े रहने का संदेश देता है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।

14 सितंबर को भव्य कवि सम्मेलन – गणेशोत्सव के इस भव्य आयोजन के साथ ही 14 सितंबर को ॐ रिद्धि-सिद्धि श्री गणेश उत्सव समिति द्वारा एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया जा रहा है। इस सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजन में छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित गीतकार मीर अली मीर अपनी प्रसिद्ध रचना ‘नंदा जाही का रे’ का भावपूर्ण काव्य पाठ करेंगे। उनकी प्रस्तुति इस कवि सम्मेलन का मुख्य आकर्षण होगी।
इस कार्यक्रम में प्रदेश के कई वरिष्ठ और प्रतिष्ठित कवि भी शामिल होंगे, जिनमें रामेश्वर शर्मा, राममूरत शुक्ल, मिनेश साहू, डॉ. इन्द्रदेव यदु और हास्य कवि यशवंत यदु “यश” शामिल हैं। ये सभी कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं का मन मोह लेंगे और इस आयोजन को एक साहित्यिक महोत्सव के रूप में स्थापित करेंगे।

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