Chhattisgarh

बार अभ्यारणय के विस्तार और वन्य प्राणियों के रहवास की कवायद

छत्तीसगढ़ वनोदय अल्ताफ हुसैन

रायपुर छग प्रदेश का सदियों से प्राकृतिक नैसर्गिक वातावरण मे सर्वधिक लोकप्रिय वन अभ्यारण्य क्षेत्र बार नवापारा का नाम प्रमुखता से आता है जहां प्रकृति ने गगन चुंबी ऊँचे पहाड़,वर्षों से साल और सागौन के अलावा भिन्न भिन्न प्रजाति के फलदार, फुल्दार, औषधि युक्त बेश कीमती वृक्ष मे संपूर्ण वायु की गमक से वातावरण को भीनी भीनी सुगंध के साथ पर्यटकों का मन अल्हादित् कर देता है मानों प्रकृति आवगमन करते पर्यटको के मुख मंडल पर आस पास के प्रकृति पेड़ पौधों की महीन सूक्षम ओस की बूंदे की अदृश्य अमृत कण से आगंतुकों के रुखसार पर मानो ठंडकता एवं भीनी सुगंध के साथ उनका स्वागत कर रही हो परंतु सदियों से जिस बार नवापारा अभ्यारणय की प्रकृति ने वन्य प्राणी, जीव जंतु का लालन पालन किया था और आज भी कर रही है उसका विदोहन मानव जगत ने उसकी वैभवता, आत्म सम्मान, और अस्तित्व पर कुठाराघात कर उसके वास्तविक इतिहास पर काला अध्याय अंकित कर दिया है प्राकृतिक वातावरण के यथार्थ को यथावत बनाए रखने के उद्देश्य से बार नवापारा अभ्यरण्य मे कभी अमूल चूल परिवर्तन नही किया गया केवल कच्ची मुरुमी सड़के विकास के नाम पर बनती, बिगड़ती, और संवरती रही है वर्षो पूर्व कुछ बार क्षेत्र के स्थानों पर चैन लिंक एवं कटिले तारों को लकड़ी के खंबे से घेरा गया था जिस पर समय के दीमक ने खोखला करते हुए लोहे के कटिले तारों को जंग लगा कर उसकी सुरक्षा को चट कर दिया एक प्रकार से वन्य प्राणियों के संरक्षण और सुरक्षा पर भी सवाल खड़ा हो गया है जबकि पूर्व और वर्तमान अधिकारियों ने शाकाहारी वन्य प्राणीयों के चारागाह का समुचित 35 से उपर घास प्रजाति की भिन्न भिन्न किसमें उत्पादन फसल निर्माण कर उनके चारा खान पान की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है इसके अलावा अन्य कोई भी विकास कार्य नही किए गए है जबकि शाकाहरी काले हिरण सहित कोटरी एवं अन्य वन्य प्राणियों की संख्या मे विगत कई वर्षों से इसकी संख्या मे भी लगातार वृद्धि और इजाफा हो रहा है परंतु स्थानों का अभाव एवं मुक्त विचरण क्षेत्र मे भारी कमी देखने मिल रही है इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बार नवापारा अभ्यारणय मे पूर्व मे लगभग ईक्किस् वन ग्राम क्षेत्र को संपूर्ण बार अभ्यारणय को मानव समाज ने चारो ओर से घेर रख था जिसकी वजह से मानव दखल होने से मुक्त वातावरण मे वन्य प्राणी विचरण नही कर पाते यही वजह है की बीस वर्ष पूर्व जब पूर्व की भाजपा सरकार के मुख्य मंत्री डॉ रमन सिंह और वन मंत्री विक्रम उसेन्डी के कार्यकाल मे पिथौरा के आगे श्री राम नगर का निर्माण कर तीन वन ग्रामों का व्यव्स्थापन वन विभाग द्वारा कराय गया था तत्कालिक रेंजर उदय सिंह ठाकुर के द्वारा तीन बार वन ग्रामों का व्यवस्थापन किया जाना उस समय बहुत बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य था जिसके 18 वन ग्राम क्षेत्र अब भी बार अभ्यारण्य के गोद मे मौजूद है ।
इस संदर्भ मे बलौदाबाजार के वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने बार अभ्यारण के उन्नयन और विस्तार हेतु पहल की है तथा बार अधीक्षक आनंद कुदरिया से व्यापक दिशा निर्देश दिए गए है बलौदा बाजार वन मंडल अंतर्गत युवा आई एफ एस.अधिकारी मयंक अग्रवाल के बलौदा बाजार वन मंडल के कार्य कालीन क्षेत्र के तहत ऐसे बहुत से समय भी आया था जब प्राकृतिक आपदा, परस्पर भिडंत मे घटना दुर्घटना के शिकार कई वन्य प्राणी असामयिक काल ग्रास बन गए तब उनके सुरक्षा रहवास की दृष्टि कोण से चिंता व्यक्त करते हुए हुए उन्होंने बार आभ्यारणय के कोठारी ग्राम के लगभग दस किलो मीटर के एक हिस्से मे कोर जोन निर्माण करवाया गया जहाँ सिर्फ और सिर्फ वन्य प्राणी का एक छत्र राज्य है ताकि वन्य प्राणी सुरक्षित और स्वच्छन्द विचरण कर सके बलौदा बाजार वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल आगे बताते है। बार अभ्यारणय के कोर ज़ोन निर्माण से इसका यह परिणाम सामने आया है कि क्षेत्र मे लगातार वन्य प्राणियों मे वृद्धि देखी जा रही है वही उनके लगातार वृद्धि से बार क्षेत्र का भूभाग रकबा भी छोटा पड़ने लगा है जहाँ उन्होंने बार अधीक्षक आनंद कुदरिया को यह महती जिम्मेदारी सौपी है बताते चले कि बार अधीक्षक आनंद कुदरिया का सेवा काल का एक लंबा अनुभव रहा है मानव निर्मित जंगल सफारी निर्माण से लेकर उसके उन्नयन विस्तार मे उनकी महती भूमिका रही है आज जंगल सफारी जू एशिया का नंबर वन जू के रूप मे इतिहास के पन्नो मे दर्ज हो चुका है जिनमे तत्कालिक अधिकारियों के साथ आनंद कुदरिया का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है जो आज भी उनकी उपलब्धि के रूप मे जाना जाता है बार नवापारा अभ्यारणय मे व्यापक विस्तार, उन्नयन कार्य और व्यवस्थापन हेतु उनके अनुभव का लाभ लेते हुए यह पहल कर बहुत सी कागजी कार्यवाही किया जा चुका है।
बार अधीक्षक आनंद कुदारीया से इस संदर्भ मे चर्चा करने पर वे बताते है कि बार अभ्यारणय के भौतिकी मान से कुल क्षेत्रफल काफी सकरा हुआ है जहाँ मुक्त वातावरण मे वन्य प्राणियों का विचरण दुरूह और कठिन हो गया है इसके स्वच्छन्द विचरण के लिए वन विभाग से तीन वन ग्राम क्षेत्र बार, अकलतरा, बोहरी, को अन्यन्त्र व्यवस्थपन प्रक्रिया प्रयास किया जाना बताया गया है जबकि यह सबसे बड़ा चुनौती पूर्ण कार्य है बार अधीक्षक आनंद कुदरिया बताते है कि बार अभ्यारण्य क्षेत्र सदियों से अपने गर्भ मे कई एतिहासिक प्राकृतिक वन संपदा, वनस्पति, वन्य प्राणियों को अपने आप मे समेटे हुए है परंतु नैसर्गिक प्राकृतिक वातावरण मे कब तक उनके भरोसे रखा जाएगा अब क्षेत्र मे अनियंत्रित होते मानव दखल गाड़ी मोटर साइकिल की चीं चिलप्पो,शोर शराबा के कान फोडू आवाज़ से वन्य प्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था प्रकृति वन क्षेत्र भी अपनी आभा खोते जा रहे है ऐसे मे वर्षों से बार के आसपास वन ग्राम वनवासीयो को व्यवस्थपन की आवश्यकता महसूस की जा रही है इसके। लिए मूल वन विभाग को कार्य योजना बनाकर प्रस्तुत किया गया है बार अधीक्षक आनद कुदरिया का कथन है कि कोई भी कार्य प्रारंभ किया जाए तो भविष्य मे इसके सार्थक परिणाम आज नही तो कल सामने आएंगे ही सो उन्होंने बताया कि यह बार अभ्यारणय का विस्तार ऊन्नयन और व्यवस्थापन अपने समय पर अवश्य होगा उन्होंने बताया कि बार अभ्यारणय मे वन्य प्राणियों की लगातार वृद्धि होते वन्य प्राणियों के स्वच्छन्द नैसर्गिक वातावरण के विस्तार की अति आवश्यकता देखी जा रही है वे आगे बताते है कि वही बार अभ्यारणय के रवान परिक्षेत्र मे वन विकास निगम द्वारा वर्षों से सागौन रोपण कर विरलन कार्य से आर्थिक व्यवस्था का दोहन किया जा रहा है जिसके सागौन विरलन के साथ हीअन्य पेड़ पौधे और प्राकृतिक वनों का विदोहन भी कर लिया जाता है जिससे कक्ष क्रमांक 117, 118, 71, 44 जैसे बहुत से क्षेत्र जहाँ खुल कर वनों का विदोहन लगातार हुआ है जहाँ बहुत से वन क्षेत्र की स्थिति सपाट मैदान मे तब्दील हो चुके है ऐसे मे वन्य प्राणियों के रहवास की बहुत बड़ी समस्या बढ़ते जा रहा है खुले क्षेत्र मिलने से शिकार की आशंका प्रबल हो जाती है ।
उल्लेखनीय है कि बार नवा पारा अभ्यारणय मे लगभग तीन वर्ष पूर्व श्याम मृग काले हिरण जिसकी नब्बे की संख्या मे तत्कालिक समय दिल्ली और बिलासपुर जू से स्थानीय बार अभ्यारण्य मे लाया गया था अति संवेदन शील काले हिरण होने के कारण इसकी विशेष सेवा सुश्रुषा की गई थी इसके लिए बार के शांत चित वातावरण मे एक पृथक भूभाग परिक्षेत्र मे बाडा निर्माण कर उन्हे सुरक्षित रखा गया था यही नही उनके खान पान की व्यवस्था हेतु कई हेक्टेयर भू भाग मे लाखों रूपये की लागत मे मुलायम सुपाच्य लगभग तीस प्रजाति के हरे घास ग्रीन लैंड क्षेत्र मे रोपण किया गया यह रोपण बार के अन्य अलग क्षेत्र मे तीन से चार स्थल मे रोपण किया गया जिसका लाभ शुद्ध शाकाहारी वन्य प्राणियों को लगातार प्राप्त हो रहा है बताया जाता है कि वर्तमान मे श्याम मृग की संख्या मे लगातार वृद्धि बताई जा रही है पर्यटकों से जानकारी लेने पर उन्होंने बताया कि जब तक काले मृग के दर्शन नही होते तब तक अभ्यारणय विचरण का आनंद नही आता है जबकि हमारे छग वनोदय पत्रिका के हवाले मे प्रकाशित समाचार मे तत्कालीन रेंजर कृषालु चंद्राकर ने वर्ष भर पूर्व बार के रामपुर वन ग्राम क्षेत्र भूभाग मे नब्बे काले हिरण को छोड़ने की बात कही थी जिनकी संख्या वर्तमान मे एक सौ पचास बताई गई थी तथा तीस काले हिरण को बाड़े मे सुरक्षित स्थान मे रखा गया था जिससेे उनकी संख्या लगातार वृद्धि हुई है असम और अन्य स्थलों से लाए गए पांच वन भैंसे जिसमे एक नर और तीन मादा के संरक्षण संवर्धन के व्यापक प्रयास किए जा रहे है बार से तीन किलोमीटर की दूरी पर कोठारी मार्ग के वृहद भूभाग को कोर ज़ोन निर्माण किया गया है जहाँ बहुत से वन्य प्राणियों को बड़ी सहजता से विचरण करते देखा जा सकता है यह क्षेत्र मानव रहित आम जन के लिए प्रतिबंधित है वन्य प्राणियों के रहवास के लिए बहुत सी योजनाओं को लाए जाने की बात भी कही जा रही है इस संदर्भ मे उदंती सीतान्दीऔर वन्य प्राणी के मुख्य वन संरक्षक विश्वेश कुमार झा से चर्चा करने पर बताया कि बार नवापरा अभ्यारणय मे वन्य प्राणियों को लेकर बहुत सी योजनाएं बनाई गई है उनके विस्तार संरक्षण संवर्धन की असीम संभावनए है ।
असम से लाए गए वनभैंसा को सतत निगरानी और देख रेख मे रखा गया है उनकी सेवा सुश्रुषा खान पान, रख रखाव,की समुचित व्यवस्था की गई है धूप गर्मी पानी से बचाव हेतु अनुकूल वातावरण हवा पानी,इत्यादि की व्यवस्था की गई है प्रतिदिन खानपान मे पौष्टिक युक्त भोजन दिया जाता है क्योकि वन भैंस राजकीय पशु भी है तथा विलुप्त प्रजाति के कागार मे है इसलिए किसी भी प्रकार का रिस्क नही लिया जाता है लगभग आधा दर्जन वन कर्मी लगातार निगरानी करते है परस्पर द्वंद होने और चोटिल होने पर डॉक्टरों की गहन देखरेख मे रहते है उनका नियमित उपचार परीक्षण किया जाता है सी सी एफ वन्य प्राणी विश्वेश झा आगे बताते है कि एक वर्ष मे उपर हो चुके वन भैंसों के बार नवापारा अभ्यारणय मे रहने के बावजूद वे अनुकूल वातावरण मे ढल नही पाए है यही वजह है कि इनकी वंश वृद्धि भी नही हो पा रही है इसके अलावा गौर जैसे भैंसे प्रजाति के बलशाली वन्य प्राणियों की उपस्थिति मे इनका भिडंत संभावित है इसलिए इन्हे पृथक बाड़ा बना कर कोर जोन मे रखा गया है सीसीएफ वन्य प्राणी विश्वेश कुमार झा आगे बताते है कि असम से लाए गए वन भैंसा कोई आम भैंसा नही जिसे मुक्त वातावरण मे खुला छोड़ दिया जाए उसके पेयजल से लेकर खानपान तक सुविधा अनुसार दिया जाता है जिसमे करोड़ों रुपये व्यय होते है सीसीएफ वन्य प्राणी विश्वेश झा आगे बताते है कि आवश्यकता अनुसार जब वह प्राकृतिक घास ग्रहण करेगा तब ही बजट अनुसार उनके रुचि कर घास का उत्पादन जैसे ग्रास लैंड बनाया जाएगा वही एक ही क्षेत्र मे तालाब,या टंकी निर्माण कर पेयजल विचरण की समस्या दूर की जाएगी क्योंकि वर्तमान मे दूषित पेयजल से उनके स्वस्थ्य पर विपरीत असर पड सकता है इसलिए स्वच्छ और स्वस्थ्य पेय जल दिया जा रहा है चारा समस्या को दूर करने का प्रयास किया जाएगा सी सी एफ वन्य प्राणी विश्वेश झा आगे बताते है कि बार मे हाथी कॉरिडोर क्षेत्र है यहाँ बड़ी संख्या मे हाथियों का आवागमन होता है नए वन्य प्राणियों के हिसाब से तार फैनसिंग लगाई जाएगी ताकि वे मुक्त वातावरण मे सुरक्षित रह सके उनका मत है कि कोई भी वन्य प्राणी चारा, दाना पानी और खुले वातावरण मे सुविधा उपलब्ध रहेगी तो वे स्वमेव क्षेत्र को अपना वास बना लेते है सी सी एफ वन्य प्राणी विश्वेश झा आगे बताते है कि अन्य जू और अभ्यारणय से वन्य प्राणियों की आदान प्रदान किया जाता है यहाँ से भी ऐसी व्यवस्था की जाएगी ताकि पर्यटक वन्य प्राणियों को मुक्त विचरण करता देख प्रफुल्लित होकर गद गद हो सके वही कोठारी रेंज के परिक्षेत्राधिकारी
जीवन लाल साहू लगातार कोठारी क्षेत्र मे एक्टिव रहते है तथा वन भैंसों की सतत निगरानी करते है परिक्षेत्राधिकारी जीवन लाल साहू बताते है कि वन भैंसों के स्वस्थ्य और खान पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है भीगे हुए चना हरे घास, भीगी दाल, ड्राई फुड, मक्खन, डाइट के अनुसार दिए जाते है लगातार डॉक्टरो की निगरानी रहती है साथ ही चार वन कर्मी लगातार क्षेत्र मे निगरानी करते है भीषण ग्रीषम मे नहाने के अलावा स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था की गई है कोठारी रेंजर जीवन लाल साहू आगे बताते है कि वंश वृद्धि के लिए अभी तक प्राकृतिक सहवास की स्थिति निर्मित नही हुई है फिर भी प्राकृतिक अनुसार स्थिति निर्मित होने पर इसका कुनबा बढ़ सकता है जबकि सी सी एफ वन्य प्राणी विश्वेश झा ने हाल ही बताया था कि राज्य के उदंती सीतानदी हिस्से मे प्रवासी वन्य भैंसे के आगमन पर उनका क्लोन लिया जाएगा परिस्थिति अनुसार इनके कुनबे मे बढ़ोतरी के प्रयास किए जाएंगे वही प्रवासी शेर भी सिरपुर शक्ति घाट क्षेत्र मे विचरण कर रहा है यदि वह मौसम अनुकूल यहाँ बार क्षेत्र मे स्थायी तौर पर रहता है तो अन्य जू या अभ्यारणय से मादा शेर लाकर शोर का संरक्षण किया जाएगा उनका कथन है कि पूरे देश मे शेर की संख्या मे भारी गिरावट आई है विलुप्त प्रजाति के शेर के संरक्षण संवर्धन मे यथोचित कार्य किए जाएंगे इसके लिए वनों और अभ्यारण्य क्षेत्र को मानव रहित मुक्त क्षेत्र बनाना आवश्यक हो गया है यह तभी संभव है जब वर्षो से वन क्षेत्रों मे बसे वन ग्रामों आसपास की बसाहटो को अन्यत्र व्यवस्थापन कर वन क्षेत्रों का विस्तार किया जाए तभी वनों और वन्य प्राणियों का संरक्षण संवर्धन संभव हो सकेगा ।

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