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समान नागरिक संहिता बिल से आदिवासियों को प्रदत्त सवैंधानिक अधिकार हो सकता है खत्म


आ सकती हैं आरक्षण पे आंच….

कई संगठन कर रहे हैं इसका विरोध….

देश के भीतर समान नागरिक संहिता जैसे बिल यदि भारत सरकार के विधि मंत्रालय द्वारा लागू होता है तो, पूरा संदेह है कि लगभग तीस करोड़ आदिवासी समुदाय से जुड़ी आबादी की प्रदत्त सवैधानिक अधिकार समाप्त हो सकती है। जिनका भारतीय संविधान से मिले सवैंधानिक अधिकार के तहत अनुच्छेद 13 (3) क जिसमें विधि का बल निहित है। जिसमें नेग दस्तूर परंपरा आदिवासियों समुदाय को विशेषाधिकार है, खत्म हो सकता है। वहीं भू राजस्व संहिता 1959 के तहत धारा 170 ख के तहत आदिवासियों की भूमि वापसी संबंधी बने कानून भी समान कानून लागू होने से मिट सकता है। वहींं आदिवासी सामाजिक परंपरा के अनुरूप होने वाले शादी विवाह रस्म रिवाज खत्म होने का संदेह निर्मित है।

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