कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ये जानकारी दी. उन्होंने कहा कि बातचीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उन्हें ये जानकारी देने को कहा है कि सिद्धारमैया कर्नाटक के मुख्यमंत्री होंगे.
केसी वेणुगोपाल ने बताया कि डीके शिवकुमार कर्नाटक के उप-मुख्यमंत्री होंगे.
मुख्यमंत्री चुने जाने में देरी पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी एक लोकतांत्रिक पार्टी है और पिछले दो-तीन दिनों से सहमति बनाने की कोशिश की जा रही थी.
हाल ही में संपन्न हुए कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बहुमत हासिल किया था. विधानसभा चुनाव के नतीजे शनिवार को आए थे.
224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 135 सीटें जीती थीं.
लेकिन कांग्रेस अपनी इस शानदार जीत के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं चुन पा रही थी और इसे लेकर सवाल भी उठ रहे थे.
शनिवार से ही पहले कर्नाटक और फिर दिल्ली में मुख्यमंत्री को लेकर लगातार विचार-विमर्श चलता रहा.
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार भी दिल्ली पहुँचे. दोनों नेताओं से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी से बात की.
अब कांग्रेस ने कई दिनों के विचार विमर्श के बाद सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फ़ैसला किया है. कर्नाटक में कांग्रेस की भारी जीत के रणनीतिकार डीके शिवकुमार रहे, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई. इसकी क्या वजह रही.
राजनीतिक विश्लेषक डी. उमापति ने बीबीसी हिंदी से कहा, ”सिद्धारमैया जनता के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं. वह लालू प्रसाद यादव की तरह देहाती छवि वाले नेता हैं. वैसे तो दोनों नेताओं की तुलना नहीं की जा सकती. लेकिन सिद्धारमैया और लालू दोनों ही गंवई लोगों की ज़ुबान बोलते हैं. सिद्धारमैया के बारे में लोगों को पता है कि वो हमेशा ही समाज के ग़रीब तबके की भलाई के बारे में सोचते हैं और सरकार चलाने का उनका हुनर भी ग़ज़ब का है.”
लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री ने बीबीसी हिंदी से कहा, ”जनता के बीच सिद्धारमैया की छवि लोगों को समझा-बुझाकर अपने साथ लाने का हुनर रखने वाले की है. वहीं, शिवकुमार की ख़ास बात संगठन बनाने में उनकी कुशलता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी है. वो पार्टी के लिए पैसे जुटाने में भी काफ़ी मददगार हो सकते हैं.”
लेकिन, जो सबसे अहम बात सिद्धारमैया के हक़ में गई, वो ये है कि उनके पास एक बड़ा वोट बैंक है.
वो न सिर्फ़, कर्नाटक की आबादी में आठ फ़ीसद हिस्सेदारी वाली अपनी जाति कुरुबा के सर्वमान्य नेता हैं बल्कि, हाल ही में एक कांग्रेस नेता ने बीबीसी को बताया था कि, ”सिद्धारमैया मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी काफ़ी लोकप्रिय हैं. उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि मध्यम वर्ग के बीच काफ़ी पसंद की जाती है, भले ही वो किसी भी मज़हब से ताल्लुक़ रखते हों.”
लोकप्रियता में आगे
वैसे तो सिद्धारमैया, कर्नाटक के मैसुरू इलाक़े के रहने वाले हैं. लेकिन, वो पूरे राज्य में एक बड़े तबके के बीच पसंद किए जाते हैं. अहिंदा (अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित) मतदाताओं का जो समूह उन्होंने एचडी देवेगौड़ा के जनता दल सेक्युलर से अलग होने से पहले, 2006 में खड़ा किया था, वो 2013 की तुलना में इस बार ज़्यादा असरदार साबित हुआ है.
बीजेपी सरकार ने जब आरक्षण नीति में विवादित बदलाव किया, तो उससे न केवल अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का एक बड़ा तबक़ा फिर कांग्रेस के पास लौटा, बल्कि दलित मतदाताओं ने भी कांग्रेस का साथ दिया.
डी उमापति कहते हैं, ”अहिंदा मतदाताओं की कांग्रेस में वापसी ने सिद्धारमैया की छवि ‘अन्य पिछड़ा वर्ग के मसीहा’ की बना दी है. वैसे इस बार उन्हीं की वजह से दलितों ने भी बड़ी तादाद में कांग्रेस को वोट दिया. वहीं दूसरी तरफ़, शिवकुमार में ये क़ाबिलियत नहीं है. हालांकि, पार्टी को मुश्किलों से बाहर निकालने में उनका कोई सानी नहीं है.”
कनकपुरा से ताल्लुक़ रखने वाले शिवकुमार को बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में बेहद प्रभावशाली माना जाता है. हालांकि, उनके समर्थक कहते हैं कि इस बार उनका असर कर्नाटक के दक्षिणी ज़िलों में भी फैल गया है, जहां शिवकुमार के वोक्कालिगा समुदाय के मतदाताओं का दबदबा है. चूंकि शिवकुमार एक प्रभावशाली समुदाय से आते हैं, तो उनके प्रभाव से ही जेडीएस का वोट इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच बँट गया.
वहीं दूसरी ओर, प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री कहते हैं कि ‘लोगों को समझा-बुझाकर मना लेने में सिद्धारमैया की कुशलता ही उन्हें विधायकों के बीच शिवकुमार से ज़्यादा लोकप्रिय बनाती है. इस मामले में शिवकुमार, सिद्धारमैया से कड़क छवि रखते हैं. उनके मामले में अक्सर यही होता है कि, या तो मेरी बात मानो, या चलते बनो.’
लेकिन, प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री एक दिलचस्प सवाल भी खड़ा करते हैं, जो चुनाव में भी बार-बार उठा था.
वह कहते हैं, ”कांग्रेस ने चुनाव के दौरान पैसे जुटाने की शिवकुमार की क़ुव्वत का भी निश्चित रूप से फ़ायदा उठाया है. आपको चुनाव प्रचार के दौरान की वो बात तो याद होगी जो प्रधानमंत्री ने कही थी. तब मोदी ने कहा था कि कांग्रेस, कर्नाटक को एटीएम बना देगी. निश्चित रूप से इस आरोप में कुछ न कुछ दम तो है.” शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस की हिचक की एक वजह ये भी थी कि पार्टी को डर था कि केंद्र सरकार उनके वो पुराने केस खोलने में ज़रा भी नहीं हिचकेगी, जो केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शिवकुमार पर दर्ज किए हैं. शिवकुमार पर आयकर और दूसरे केंद्रीय क़ानूनों के उल्लंघन के आरोप हैं.
जब शिवकुमार की संपत्तियों पर केंद्रीय एजेंसियों ने छापा मारा था, तो उन्हें गिरफ़्तार करके तिहाड़ जेल में भी रखा गया था. उसी दौरान जब शिवकुमार से मिलने सोनिया गांधी तिहाड़ जेल गई थीं, तो उन्हें कर्नाटक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का भरोसा दिया था.
उमापति कहते हैं, ”इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवकुमार का हक़ बनता है. वो पार्टी के प्रति वफ़ादार हैं और संसाधन जुटाने में भी माहिर हैं.”
जहां तक छवि की बात है तो सिद्धारमैया उन गिने चुने नेताओं में से एक हैं, जिन पर कभी भी किसी भी तरह का भ्रष्टाचार करने का आरोप नहीं लगा.
उमापति कहते हैं, ”सिद्धारमैया पर अर्कावती हाउसिंग सोसाइटी के मुद्दे पर आरोप ज़रूर लगे थे. लेकिन, अब तक कोई आरोप साबित नहीं हुआ है. यहां तक कि पिछले साढ़े तीन साल से सरकार चला रही बीजेपी भी उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चला सकी.”
ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाई कमान ने मुख्यमंत्री का चुनाव करते वक़्त अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों का भी ख़याल रखा है.
इस बार पार्टी, कर्नाटक में अपनी सीटें बढ़ाने की कोशिश में है. पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ़ एक पर जीत हासिल कर सकी थी. एक सीट जेडीएस ने जीती थी, जबकि बाक़ी की सभी 26 सीटों पर बीजेपी ने बाज़ी मारी थी.
सिद्धारमैया सीएम और शिवकुमार डिप्टी सीएम – रिपोर्टों के आधार पर इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि गुरुवार को ये फ़ैसला हो गया है कि कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बनेंगे जबकि डीके शिवकुमार डिप्टी सीएम बनेंगे. ये भी कहा जा रहा है कि शपथग्रहण 20 मई को होगा.
हालांकि अभी तक कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के पद के लिए किसी के नाम की पुष्टि नहीं की है और न ही शपथग्रहण की तारीख बताई है.
अख़बार लिखता है कि बुधवार को शिवकुमार और सिद्धारमैया ने अलग-अलग राहुल गांधी से मुलाक़ात की. बाद में शिवकुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाक़ात की जिसके बाद वो अपने भाई डीके सुरेश के आवास पर अन्य नेताओं से मुलाक़ात करने पहुंचे. इसी बीच कर्नाटक महिला विंग की अध्यक्ष पुष्पा अमरनाथ ने मीडिया को बताया कि मुख्यमंत्री के पद के लिए सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई गई है.
A section of our dear friends of the media have fallen victim to the ‘fake news factory’ of BJP on formation of next Congress Government in Karnataka.
We understand the frustration of BJP in being decisively rejected by the brother and sisters of Karnataka bringing an end to…
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) May 17, 2023
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