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एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना ने सरकार बचाने के लिए पारित किए ये 6 प्रस्ताव

एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना में माहौल बदल गया है. सरकार को बचाए रखने के लिए पार्टी नेता युद्ध स्तर पर योजना बना रहे हैं.

इसके लिए शनिवार को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई गई.

शिवसेना की ओर से इस बैठक में एकनाथ शिंदे के गुट को जवाब देने के लिए कुल 6 प्रस्ताव पारित किए गए हैं. इसके जरिए बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है.

शिवसेना द्वारा पारित 6 प्रस्ताव इस प्रकार हैं-

जब से उद्धव ठाकरे ने शिवसेना प्रमुख के रूप में पार्टी की बागडोर संभाली है, उन्होंने शिवसैनिकों को प्रभावी नेतृत्व दिया है. उन्हें भविष्य में भी पार्टी का मार्गदर्शन करते रहना चाहिए.
कार्यकारिणी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में उद्धव ठाकरे के प्रभावशाली प्रदर्शन और देश और दुनिया भर में हासिल की गई उपलब्धि पर गर्व है.
कार्यकारिणी महाराष्ट्र में आगामी नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायत, जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत चुनाव पूरे जोश के साथ लड़ने और हर जगह शिवसेना का भगवा झंडा फहराने के लिए कटिबद्ध है.
कार्यकारिणी मुंबई शहर और उपनगरों, तटीय सड़कों, मेट्रो रेल मार्गों, विभिन्न सौंदर्यीकरण परियोजनाओं और ऋण माफी जैसे जनहित वाले फ़ैसलों के लिए महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नगर निगम को धन्यवाद देती है.
शिवसेना और बालासाहेब एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है और कोई भी ऐसा नहीं कर सकता है इसलिए बालासाहेब ठाकरे नाम का इस्तेमाल शिवसेना पार्टी के अलावा कोई भी नहीं कर सकता है.
शिवसेना बालासाहेब ठाकरे की है और रहेगी. शिवसेना हिंदुत्व के विचारों के प्रति ईमानदार थी और रहेगी. शिवसेना ने महाराष्ट्र की अखंडता और मराठी लोगों की पहचान के लिए कभी धोखा नहीं दिया और न कभी धोखा देगी. शिवसेना प्रमुख उद्धव साहब ठाकरे को यह अधिकार दिया जा रहा है कि जो भी शिवसेना को धोखा देगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो.

‘महाराष्ट्र वापस आने के लिए सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं’
शिवसेना ने 16 बागी विधायकों को उनकी सदस्यता से अयोग्य करार देने वाला नोटिस जारी किया है. पार्टी के व्हिप सुनील प्रभु ने शिवसेना के सभी विधायकों की बैठक बुलाई थी. इस बैठक में शामिल न होने के चलते ये नोटिस जारी किया गया है.
विधायकों को 27 जून शाम 5.30 बजे तक बैठक में शामिल नहीं होने की वजह और उससे जुड़े दस्तावेजों के साथ लिखित जवाब देने को कहा गया है.

हालांकि एकनाथ शिंदे समर्थित विधायक दीपक केसरकर ने जूम के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इस पर कहा, “हम शिवसेना हैं. हमने अभी एक नया ग्रुप बनाया है. हमारे पास पार्टी के दो तिहाई संख्या है. हमने एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना है. बैठक में शामिल होने के लिए व्हिप जारी नहीं होती है. ये केवल विधानसभा में मान्य है.”

उन्होंने कहा, “वे हमें नोटिस जारी कर धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. हमें जारी किए गए नोटिस का हम कानूनी जवाब देंगे. हम विधानसभा में बहुमत साबित कर सकते हैं. हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है. हमारी पार्टी में 55 विधायक हैं तो 16 विधायक कैसे फैसला ले सकते हैं.”

बागी विधायक दीपक केसरकर ने कहा, “हम किसी दूसरी पार्टी में विलय नहीं करेंगे. जहां तक बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल करने की बात है तो हम नियमों की जांच करेंगे और बदलावों पर विचार करेंगे. हमारे पास संख्या है लेकिन हम महाराष्ट्र वापस आने के लिए सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं.”
संजय राउत का बयान

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास अघाड़ी की सरकार पर गहराते संकट के बीच हुई शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी नेता संजय राउत ने कहा है कि इस मीटिंग में छह प्रस्ताव पारित किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि शिवसेना ने ये तय किया है कि वो बालासाहेब ठाकरे की हिंदुत्व की विचारधारा पर चलेगी और संयुक्त महाराष्ट्र की विचारधारा से कोई समझौता नहीं करेगी.

संजय राउत ने मीडिया को बताया, “जिन लोगों ने पार्टी को धोखा दिया है, उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, उनके ख़िलाफ़ कदम उठाने का अधिकार मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास है. अपने खुद के फायदे के लिए जिन लोगों ने बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल किया है, हम उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कदम उठाएंगे.”


“पार्टी छोड़ने वालों के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गई जा रही है, इसका पता लोगों को शाम तक चल जाएगा. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जो काम किए हैं, वो सराहनीय हैं. हम सभी चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ेंगे.”

उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि जो लोग पार्टी छोड़कर गए हैं, उन्हें शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे के नाम पर वोट नहीं मांगना चाहिए. वे अपने पिता के नाम पर वोट मांगे. महाविकास अघाड़ी एकजुट है.”
‘गृह मंत्री अमित शाह महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाएं’

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ गठबंधन महाविकास अघाड़ी की सरकार के गहराते संकट के बीच अमरावती की सांसद नवनीत राणा ने शनिवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की है.

नवनीत राणा ने कहा, “मैं गृह मंत्री अमित शाह से उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ने वाले और अपना फ़ैसला खुद करने वाले विधायकों के परिजनों को सुरक्षा मुहैया कराने का आग्रह करती हूं. उद्धव ठाकरे की गुंडागर्दी ख़त्म होनी चाहिए. मैं राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने का आग्रह करती हूं.”

सांसद नवनीत राणा का ये बयान शिवसेना के बाग़ी विधायक तानाजी सांवत के दफ़्तर पर नाराज़ पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा कथित रूप से तोड़फोड़ किए जाने के बाद आया है.

तानाजी सावंत शिवसेना के उन विधायकों में से हैं जो एकनाथ शिंदे खेमे में शामिल हो गए हैं. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय वे गुवाहाटी में कैंप किए हुए हैं.

शिवसेना के एक स्थानीय नेता ने पुणे में ये दावा किया था कि पार्टी के कार्यकर्ताओं ने तानाजी सावंत के दफ़्तर में तोड़फोड़ की थी.

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मुंबई शहर में धारा 144 लागू

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद राज्य में कई जगहों पर शिवसैनिक आक्रामक हो गए हैं.

कुछ शिव सैनिक एकनाथ शिंदे के साथ दिख रहे हैं तो कुछ उनका समर्थन करने वाले विधायकों का विरोध कर रहे हैं. कई जगहों पर विधायकों के कार्यालयों पर हमले भी हुए हैं.

राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि को देखते हुए मुंबई पुलिस ने शहर में धारा 144 लागू करने का फैसला किया है.

राजनीतिक सत्ता संघर्ष के दौरान जिले और शहर में कानून-व्यवस्था भंग न हो, इसके लिए एहतियात के तौर पर धारा 144 लागू करने का निर्णय लिया गया है.

इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है.

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एकनाथ शिंदे गुट का नया नाम

एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों ने अपने गुट के लिए ‘शिवसेना बालासाहेब’ नाम रखने का फैसला लिया है.

गुवाहाटी में एकनाथ शिंदे के साथ मौजूद विधायक डॉ. बालाजी किनिकर ने इस खबर की पुष्टि की है.

शिंदे गुट के नाम रखने के बाद शिवसेना को आपत्ति होने की संभावना है. जल्द ही नाम की आधिकारिक घोषणा होने की उम्मीद है.


विधायक दीपक केसरकर ने कहा, “हम बालासाहेब की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं. हमने एक स्वतंत्र ग्रुप बनाया है. हम किसी के साथ विलय नहीं करेंगे. ग्रुप का एक स्वतंत्र अस्तित्व होगा. किसी ने भी पार्टी नहीं छोड़ी है.”

एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के क़रीब 40 विधायकों के बग़ावत करने के बाद राज्य सरकार ख़तरे में आ गई है.

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