संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई ने बुधवार को एक फ़ैसला लिया कि अगले चार महीनों तक वो भारत से ख़रीदा हुआ गेहूँ को किसी और को नहीं बेचेगा.
यूएई के आर्थिक मंत्रालय की ओर से जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, ये प्रतिबंध 13 मई 2022 से लागू होगा और ये गेहूँ, भारतीय गेहूँ से बने आटे और इसकी सभी किस्मों पर लागू होगा.
यूएई ने अपने इस फ़ैसले के पीछे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात को कारण बताया. हालाँकि, अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार भारत नहीं चाहता कि दुबई या अबू धाबी उसके भेजे गेहूँ को दूसरे देशों तक पहुंचाए.
रिपोर्ट में एक अहम सूत्र के हवाले से बताया गया है, “भारत नहीं चाहता कि उसने दुबई या अबू धाबी को जो अनाज या गेहूँ निर्यात किया है वो किसी और देश को दिया जाए. भारत की इच्छा है कि इसका उपभोग घरेलू स्तर पर ही हो और ये लाभ यूएई में काम करने वाले भारतीय प्रवासी मज़दूरों तक भी पहुँचे.”
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि भारत इन देशों को बदले में अपने गेहूँ के निर्यात पर रोक की सूची से बाहर रखने को तैयार है.
भारत ने इसी सा 14 मई को एलान किया था कि वो गेहूँ के निर्यात पर रोक लगा रहा है. हालाँकि, ये भी कहा गया कि जिन देशों की खाद्य सुरक्षा ख़तरे में है, उन्हें इस रोक के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
इसके अलावा ये आदेश पहले से अनुबंधित निर्यात पर लागू नहीं होगा. साथ ही, भारत सरकार की अनुमति पर, कुछ शर्तों के साथ भी निर्यात जारी रहेगा.
आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक़, भारत ने घरेलू बाज़ार में गेहूँ की बढ़ती क़ीमतों के मद्देनज़र ये फ़ैसला किया है.
especially after the signing of the Comprehensive Economic Partnership Agreement #CEPAUAEINDIA between the 2 countries and the Indian government's approval to export wheat to the UAE for domestic consumption.
— حسن سجواني 🇦🇪 Hassan Sajwani (@HSajwanization) June 15, 2022
फ़ैसले के पीछे क्या है वजह?
यूएई की वेबसाइट द नेशनल न्यूज़ ने जानकारों के हवाले से बताया कि सरकार के इस फ़ैसले के पीछे भारत के साथ उसके मज़बूत कूटनीतिक संबंध हैं.
मोतीलाल ओसवाल सिक्योरिटीज़ कंपनी के डायरेक्टर किशोर नरने ने द नेशनल को बताया, “भारत यूएई को ख़ास सहयोगी मानकर कारोबार करता है. दोनों के बीच संबंध इतने मज़बूत हैं, इसलिए सरकार ने ये विशेष फ़ैसला लिया है.
दोनों देशों के बीच आम सहमति है कि अगर गेहूँ का इस्तेमाल कारोबारी मक़सद से नहीं करता है तो भारत यूएई को निर्यात में छूट देने को राज़ी है. ये रियायत बांग्लादेश, यूएई और उन देशों को मिल रही है जिनके भारत के साथ मज़बूत कूटनीतिक रिश्ते हैं और जो ज़रूरत में हैं.”
The IQ level of liberals keeps dropping day by day @RichaChadha 😂😂😂 pic.twitter.com/yE57o3JAAw
— Lala 🇮🇳 (@FabulasGuy) June 15, 2022
यूएई को कितना गेहूँ देता है भारत
भारत ने साल 2021-22 के बीच यूएई को 4.71 लाख टन गेहूँ का निर्यात किया. इसकी क़ीमत क़रीब 13.653 करोड़ डॉलर थी. भारत ने बीते साल जितने अनाज का निर्यात किया उसमें से 6.5 फ़ीसदी यूएई को भेजा गया है.
हालाँकि, ये भारत के निर्यात के लिहाज़ से बड़ी मात्रा नहीं है लेकिन यूएई के लिए ये बहुत अधिक है. अमेरिका के कृषि मंत्रालय के अनुसार, यूएई सालाना 15 लाख टन गेहूँ की ख़पत करता है और ये पूरी तरह आयात करता है.
यूएई के गेहूँ आयात का 50 फ़ीसदी से अधिक हिस्सा रूस से आता है. इसके बाद कनाडा, यूक्रेन और ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है. साल 2020-21 से भारत भी यूएई के लिए बड़ा निर्यातक देश बन गया है. भारत अब 1.88 लाख टन गल्फ़ फ़ेडरेशन को निर्यात करता है.
पाबंदी लगाने के फ़ैसले से पहले तक साल 2021-22 में ये निर्यात और बढ़ा. दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से काले सागर से जुड़े बंदरगाहों के रास्ते होने वाले कारोबार पर असर पड़ा है.
हालाँकि, उम्मीद की जा रही है कि जुलाई महीने से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में रूस और यूक्रेन का गेहूँ आने से आपूर्ति में सुधार होगा.
यूएई के बयान में क्या है
यूएई के आर्थिक मंत्रालय ने कहा कि जो कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहा है, उसने कारोबार को प्रभावित किया है और इसी वजह से ये फ़ैसला लिया जा रहा है. यूएई ने कहा है कि भारत के साथ उसके मज़बूत और रणनीति साझीदारी के मद्देनज़र वो ये निर्णय ले रहा है.
मंत्रालय ने विस्तार से बताया कि जो कंपनियां 13 मई से पहले आयातित गेहूँ को देश से बाहर बेचना चाहती हैं, उन्हें इसके लिए ज़रूरी दस्तावेज़ देकर मंज़ूरी लेनी होगी.
especially after the signing of the Comprehensive Economic Partnership Agreement #CEPAUAEINDIA between the 2 countries and the Indian government's approval to export wheat to the UAE for domestic consumption.
— حسن سجواني 🇦🇪 Hassan Sajwani (@HSajwanization) June 15, 2022
भारत और यूएई का ख़ास रिश्ता
यूएई भारत का एक अहम साझीदार रहा है. यहाँ 35 लाख़ भारतीय पासपोर्टधारी रहते हैं. वहीं, यूएई की आबादी में 35 फ़ीसदी भारतीय हैं जो कि किसी भी अन्य खाड़ी देश की तुलना में सबसे अधिक है.
कोरोना वायरस जब अपने चरम पर था तब भारत ने यूएई को हवाई रास्ते से ज़रूरी सामान मुहैया कराया था. उस समय चीन की सप्लाई चेन पूरी तरह ध्वस्त हो गई थी और दाल, चीनी, अनाज, सब्ज़ी, चाय, मीट और समुद्री भोजन सहित कई अन्य ज़रूरी सामान की कमी के बीच भारत यूएई के लिए अहम निर्यातक साबित हुआ था.
यूएई ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौक़े पर बड़े आयोजन की तैयारी की है. यहां यूएई के सहिष्णुता मंत्री नाह्यान बिन मुबारक अल नाह्यान एक समारोह के दौरान भारतीय राजदूत संजय सुधीर से संवाद करेंगे.
शाम के समय प्रसिद्ध शेख़ ज़ायेद क्रिकेट स्टेडियम में भी योग किया जाएगा. इस आयोजन में 8 से 10 हज़ार लोगों के शामिल होने का अनुमान है.
चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है लेकिन घरेलू खपत अधिक होने के कारण निर्यात कम मात्रा में करता है. भारत ने बीते साल करीब 10.8 करोड़ टन गेहूँ का उत्पादन किया था लेकिन इसमें से केवल 70 लाख टन का ही निर्यात किया गया.
भीषण गर्मी की वजह से भारत ने लगाई पाबंदियां
गेहूं की खेती भारत में उत्तर भारत में ज्यादा होती है. मध्य भारत में मध्य प्रदेश में भी पैदावार खूब होती है.
मार्च और अप्रैल के महीने में ही गेहूं की कटाई ज़्यादातर इलाकों में होती है.
इस साल उत्तर भारत में मार्च और अप्रैल के महीने में रिकॉर्ड गर्मी पड़ी है. जिस वजह से गेहूं की पैदावार पर काफ़ी असर पड़ा है.
गेहूं को मार्च तक 25-30 डिग्री सेल्सियस के तापमान की ज़रूरत होती है. लेकिन मार्च में उत्तर भारत के कई इलाकों में पारा इससे कहीं ऊपर था.
सरकारी फाइलों में गेहूं की पैदावार 5 फ़ीसदी के आसपास कम बताई जा रही है.
भारत का यूएई तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता भी होने वाला है. इसराइल, इंडिया, यूएई और यूएस ने मंगलवार को I2U2 गठजोड़ की घोषणा की थी. चारों देशों व्यापार और सुरक्षा को लेकर इस गठजोड़ के तहत मिलकर काम करेंगे.
Add Comment