Chhattisgarh

जंगल सफारी अब C F मैडम मर्सिबेला एंड कंपनी प्रायवेट लिमिटेड बन चुका

जंगल सफारी में जंगल राज चलने से कर्मियों में आक्रोश आसपास के ग्रामीण विरोध में उतरे…

अल्ताफ हुसैन की कलम से…

रायपुर । जंगल सफारी में वन संरक्षक मर्सिबेला मैडम और अभय पांडे एसडीओ एवं हरिसिंह ठाकुर रेंजर जंगल सफारी के द्वारा लगातार श्रमिकों और वन कर्मियों को प्रताड़ना के चलते एक बार पुनः जंगल सफारी के कर्मचारियों में आक्रोश उत्प्न्न हो गया है जिससे बात काफी हद तक बढ़ गई तथा बात मारपीट की नौबत तक पहुंच गई थी जिसकी वजह से आसपास के ग्रामीण और कर्मचारी काम बंद कर उन्हें हटाने लामबंद हो गए है। संपूर्ण घटना के सबंध में मिल रही जानकारी के अनुसार जंगल सफारी के एसडीओ अभय पांडे एवं रेंजर हीरासिंह ठाकुर द्वारा जंगल सफारी कर्मचारियों को आए दिन शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाना बताया गया है सफारी कर्मियों का कथन है कि एसडीओ अभय पांडे सहित रेंजर हीरा सिंह ठाकुर द्वारा बिना किसी कारण के गाली गलौज सहित काम नही करते हो कहकर समय से अधिक कार्य लेना और चोरी इत्यादि का आरोप मढ़कर कार्य से बेदखल कर दिया जाता है यही नही अपने ही कुछ नए लोगों को कार्य दे दिया जाता है। जो यहां आते भी नही है मगर उन्हें पारिश्रमिक भुगतान कुशल श्रमिक अर्थात सीनियरिटी ग्रेड का दिया जाता है यहां तक यह भी आरोप लगाए जा रहे है कि कंप्यूटर ऑपरेटर अमित सोनी के भाई अनिल सोनी को भी रख लिया गया है जो कभी कार्यक्षेत्र में दिखाई नही देता फिर भी वह बराबर बारह हजार रुपये वेतन उठा रहा है जबकि कर्मियों का कथन है कि वह कभी कभार आकर केवल अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर चले जाता है जिसे कुशल श्रमिक का वेतन प्रदाय किया जा रहा है इस प्रकार के एक नही ऐसे बहुत से फर्जी नाम के श्रमिक खाताधारकों के नाम से राशि आहरित की जा रही है बावजूद एसडीओ अभय पांडे के उपर किसी प्रकार की कोई भी विभागीय कार्यवाही नही की जा रही है बताया यह भी जा रहा है कि हाल ही वन संरक्षक मर्सिबेला मैडम द्वारा चालीस से ऊपर लोगों को मुफ्त में सफारी घुमाने फ्री इंट्री की छूट दी गई जबकि यदा कदा कोई जंगल सफारी कर्मी के परिवार मित्र जंगल सफारी भ्रमण के लिए आते है तो उन्हें इंट्री नही दी जाती उल्टे उन्हें टिकिट लेने कहा जाता है जबकि टिकिट काउंटर से लेकर गेट मैन की मिली भगत के चलते प्रतिदिन हजारों का खेल होता है बताया जाता है कि सफारी इंट्री के समय गेट कीपर द्वारा पूरी टिकिट रख लिया जाता है तथा वही टिकट पुनः काउंटर में दूसरे आंगतुक पर्यटक को दे दिया जाता है इस प्रकार जंगल सफारी कर्मी अर्जित आय से मंगल मना रहे है यानी डबल लाभ उठा रहे है इसका ताजा उदाहरण यह है कि अटल नगर नवा रायपुर के पॉश इलाको में ऐसे भ्रष्ट वन कर्मियों जो फॉरेस्ट गार्ड स्तर के कर्मी है उन्होंने लाखों के मकान इत्यादि निर्माण करवा लिया है तथा बकायदा चार पहिया वाहन में आवागमन करते है यही नही सफारी के अंदर कैंटीन का संचालन भी इन्ही निचले स्तर के कर्मचारियों फॉरेस्ट गार्ड के माध्यम से उनके संरक्षण में किया जा रहा है ऐसे कैंटीनों सायकल स्टैंड आदि जिसकी न कोई निविदा निकाली जाती है और न ही किसी बाहरी व्यक्ति को टेंडर दिया जाता है केवल नाम के लिए खाना पूर्ति कर महिने में लाखों की राशि गबन हो जाती हैं। इन सब की अवैध वसूली के लिए फॉरेस्ट गार्ड पिंकेश्वर दास वैष्णव को रखा गया है जो सायकल स्टैंड से लेकर कैंटीन,नौका विहार,एवं टिकिट काउंटर की संपूर्ण राशि का प्रतिदिन का हिसाब किताब जंगल सफारी बंद होने के पश्चात एकत्र किए गए राशि को रेंजर सहित एसडीओ तक पहुंचाता है। फॉरेस्ट गार्ड पिंकेश्वर दास वैष्णव के बारे में उल्लेखनीय है कि ये वही पिंकेश्वर दास वैष्णव है एवं इनके साथ अन्य पांच लोग है जिनकी नियुक्ति आदेश की प्रति आज तक सूचना के अधिकार में जंगल सफारी के जन सूचना अधिकारी द्वारा आवेदक को प्रदाय नही की गई एक प्रकार से यह कहा जा रहा है कि पिंकेश्वर दास वैष्णव एवं उसके पांच अन्य कर्मियों की नियुक्ति ही फर्जी तरीके से हुई है क्योंकि ज्ञात हुआ है कि एक आवेदक द्वारा जंगल सफारी में फारेस्ट गार्ड की पोस्ट में वर्षों से सेवारत पिंकेश्वर दास वैष्णव के नियुक्ति आदेश की कॉपी मांगी थी जिसे जन सूचना अधिकारी द्वारा यह जवाब दिया गया कि उक्त फॉरेस्ट गार्ड कर्मी की नियुक्ति आदेश की प्रति उपलब्ध नही है सवाल उठता है कि जब कोई कर्मी जहां भी पदस्थ होता है उंसके लिए शासन बकायदा नियुक्ति आदेश जारी करता है तथा नियुक्त वन मंडल स्थल के विभाग द्वारा उक्त आदेश के कारण ही उसे शासकीय सेवा में संलग्न करता है परन्तु पिकेश्वर दास वैष्णव एक ऐसा विरला फॉरेस्ट गार्ड है जो बगैर नियुक्ति आदेश के ही जंगल सफारी में विगत दस वर्षों से एक ही स्थान पर अपनी सेवाएं दे रहा है ? साथ ही उसके साथ पांच अन्य कर्मियों की नियुक्ति भी संदेहास्पद मानी जा रही है यही नही बल्कि वे सब शासन द्वारा प्रदत्त समस्त शासकीय लाभ भी उठा रहे है विभागीय पत्र क्रमांक 95/2012/धरमजयगढ़ दिनांक 18/07/2012/ मे स्पष्ट उल्लेख है कि वन संरक्षक बिलासपुर वृत के पत्र क्रमांक स्था./3776/ दिनांक 20/06/2012/द्वारा दिनांक 01/01/1989 से 31/12/1997/तक अवधि में नियुक्त एवं वर्तमान में कार्यरत निम्नांकित दैनिक वेतन श्रमिक को वन रक्षक के वेतनमान दर पर अस्थायी रूप से व.म. धरमजयगढ़ के आदेश /क्रमांक/89 दिनांक 11/07/2012 के तहत गठित की गई समिति द्वारा पद पर योग्य पाए जाने पर नियमितीकरण किया जाता है जबकि बताया जाता है कि उक्त अवधि वाले समस्त दैनिक वेतनभोगी कर्मियों की नियमितीकरण वर्ष 2000 पश्चात पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया गया था परन्तु पिंकेश्वर दास वैष्णव सहित पांच अन्य की नियुक्ति वर्ष 2012 में उसे ही आधार बनाकर कैसे नियुक्त किया गया यह बहुत ही विचारणीय पहलू है। जबकि यह बात भी सामने आ रही है कि नियुक्ति आदेश में सफेदा लगाकर फर्जी नियुक्ति आदेश के माध्यम से कई वर्षों से उंसके द्वारा जंगल सफरी में कार्य किया जा रहा है इनकी नियुक्ति बिलासपुर में हुई थी तब पिंकेश्वर दास वैष्णव की आयु चौदह वर्ष से भी कम थी यानी एक प्रकार से वह तात्कालिक समय अवयस्क था तब से ही फर्जी नियुक्ति आदेश पत्र के साथ कार्य कर रहे है और विभाग भी ऐसे लोगों को प्राश्रय दिए हुए है। वह आज भी फॉरेस्ट गार्ड के रूप में जंगल सफारी में समस्त राशि गबन एवं फर्जी बिल बाउचर एवं गड़बड़ घोटालों को अंजाम देने में अपनी महती भूमिका अदा कर रहा है आज तक उसकी पदोन्नति एवं अन्य स्थल पर नियुक्ति न होना अनेक सवालों को जन्म देता है अब ऐसे वन कर्मी पर विभाग क्यो कार्यवाही नही कर रहा यह अचरज का विषय है वही भ्रष्ट में संलिप्त पूर्व जंगल सफारी रेंजर सुनील खोपरागड़े को नंदन वन का प्रभारी बनाकर भेज दिया गया तो वहां के प्रभारी रेंजर हीरा सिंह ठाकुर को यहां लाया गया जो…. एक तो कडुवा उस पर नीम चढ़े…. वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे है इनके सन्दर्भ में यह ज्ञात हुआ है कि नंदन वन के श्रमिकों को आते जाते सलाम नमस्ते न करने पर उन्हें सलाम ठोंकने के लिए विवश करते थे अब वे जब जंगल सफारी में पहुंच गए है तो स्वभाविक है इनका व्यवहार अन्य वन कर्मियों श्रमिको से कैसे होगा यह विचारणीय पहलू है क्योंकि जंगल सफारी भ्रष्टाचार के मामले में काजल की काली कोठरी है यहां जो भी आए या गए वे बगैर काला दाग लिए बेदाग तो नही जा सकते एक प्रकार से जंगल सफारी का कोई माई बाप नही है जिसके हाथ मे जितना आया समेटते चलता बना और जो बचे है वे खुलकर लूट खसोट मचाए हुए है इस ओर जिम्मेदार वन संरक्षक (CF) मर्सिबेला मैडम को माना जा रहा है क्योंकि वन विभाग की पकड़ पूरी तरह से ढीली पड़ चुकी है और जंगल सफारी अब मैडम मर्सिबेला एंड कंपनी प्रायवेट लिमिटेड बन चुकी है क्योंकि मुरुम खनन से लेकर निर्माण कार्यों में हुए भ्रष्टाचार में अब तक उन पर कोई विभागीय कार्यवाही नही हुई है उल्टे उन्हें पदोन्नत कर सीएफ बना दिया गया इस संदर्भ में ज्ञात हुआ है कि एक आरटीआई आवेदक उनके विरुद्ध दिल्ली शिकायत करने का मन बना लिया है क्योंकि यहां के विभागीय उच्च स्तरीय अधिकारी और एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा केवल मामले की लीपापोती कर देते है तथा ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को महिमा मण्डित कर पद पॉवर में और इजाफा कर दिया जाता है जिससे क्षुब्ध आवेदक दिल्ली जैसे मुख्य स्तर पर पत्र व्यवहार कर माम्रले कि निष्पक्ष जांच की मांग की जाएगी वही जंगल सफारी में हालिया प्रकरण में बहुत से बाहरी श्रमिकों को सफारी में रख लिया गया तथा कई श्रमिकों को निकाल बाहर भी कर दिया गया जिससे आसपास के ग्रामीण लामबंद हो गए तथा शुक्रवार को बड़ी संख्या में पंच सरपंच सहित बड़ी संख्या में भीड़ लाठी डंडे से लैस होकर जंगल सफारी प्रांगण में जुट गए तथा DFO (वन संरक्षक) सहित SDO अभय पांडे, रेंजर हीरा सिंह ठाकुर को हटाने की मांग पर अड़ गए जिन्हें समझाने के लिए वन अधिकारी भी मशक्कत करते रहे पर नतीजा सिफर ही रहा इससे जंगल सफारी का दैनिक कार्य प्रभावित तो हुआ ही साथ ही व्यवस्था भी ठप्प हो गई एक प्रकार से जंगल सफारी में कर्फ्यू की स्थिति निर्मित हो गई थी जबकि अनेक पीड़ित श्रमिकों द्वारा बताया है कि जंगल सफारी एवं कार्यालयों में बहुत से कर्मियों को हटा कर उनके स्थान पर अपने चहेते कर्मचारियों को कार्य पर रख लिया गया है उन्हें तत्काल नौकरी से पृथक कर जांच की मांग की गई है साथ ही भ्रष्ट अधिकारियों वन संरक्षक, एसडीओ, रेंजर को भी हटाने की बात को लेकर ग्रामीण अड़े हुए है। गौर तलब है कि वर्षों से जंगल सफारी में नियमित रूप से हो रहे भ्रष्टाचार पर विभागीय अधिकारी जांच करने से क्यों कतराते है?
यह सवाल अब भी अनसुलझा हुआ है यहां तक विभागीय वार्षिकी ऑडिट रिपोर्ट जो महालेखा वित्त विभाग से ऑडिटर यहां आते है क्या वे भी केवल आंख बंद कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री मान लेते है उन्हें जंगल सफारी में मुरुम घोटाले से लेकर संपादित किए गए निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और व्यय नज़र नही आता जो इनके भी कार्यशैली को लेकर अनेक संदेह को जन्म देता है। जबकि प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव के ताज़े आदेश के पत्र क्रमांक/ व.जी/स्था-35/972 के दिनांक 04/03/2022 में स्पष्ट आदेश दिए गए है कि नियमित हुए श्रमिको के स्थान पर किसी नए श्रमिक को न लिया जाए तथा ऐसा करते हुए कोई अधिकारी पाया जाता है तो उस पर विधिवत कार्यवाही के निर्देश दिए गए है परन्तु जंगल सफारी में ठीक इसके उलट कार्य संपादित हो रहे है तथा आदेश चाहे नया हो या पुराना सारे फरमानों की धज्जियां उड़ा दी जाती है इससे ज्ञात होता है कि उच्च अधिकारियों के आदेशों को भी ये जेब मे रखते है और मैदानी वन कर्मियों और अमले के अधिकारी को जो करना है वह करते है क्योंकि इनके भी तार कहीं न कहीं इनसे भी जुड़े रहते है बहरहाल, नए लोगों की भर्ती अब भी अनवरत किए जा रहे है ताकि फर्जीवाड़ा भ्रष्टाचार,गड़बड़ी,घोटालो के नए नए पैतरे को अंजाम दिए जा सके और वन के मैदानी अमले के कागजी घोड़े भी दौड़ते रहेंगे जिसका जीता जागता उदाहरण दिनांक 04 मार्च 2022 को निकाले गए नए आदेश को लिया जा सकता है अब जंगल सफारी के उच्च स्तर पर बैठे अधिकारी इस ओर क्या कदम उठाते है यह अब देखना होगा ?

साभार फॉरेस्ट क्राइम न्यूज़

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