भले ही गोंडवाना आज अस्तित्त्व से जूझती, जिनका कभी 18 वर्षों का स्वर्णिम साम्राज्य था। दरअसल सच्चाई यह है,कि अपने ही धरातल के सांसो में समाई अपनी मातृभाषा याने “गोंडी भाषा मतलब अपने माँ से वंचित, इस वृहद समुदाय को 1 नवंबर 1959 को जब देश में भाषावार राज्यों की पुनर्गठन हुआ। पर दुर्भाग्य का खेल रहा है, कि आज तक गोंडवाना राज्य मिलना भी बिजुल की कौड़ी सा हो गया। जो आघात से कम नहीं है। लेकिन आज दोहरा मार तब होती है जब अपने मातृभूमि में अपने पुरखों की प्रतिमा को स्थापित नहीं कर सकते। लिहाजा लगता है,जो गुनाहों से कम नहीं, जैसा कि 10 फरवरी 2022 को गोंडवाना रत्न दादा हीरासिंह मरकाम जी के प्रतिमा को स्थापित किया गया। और सप्ताह भर भी नहीं रहने दिया गया कि 17 फरवरी को तोड़ दिया गया। इस कृत्यों से सारा गोंडवाना उबल उठा। गौरतलब 28 फरवरी को विरोध में समाज के पदाधिकारियों ने खंडित प्रतिमा स्थल छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिला स्थित गुरसियां में पहुंचा । उस दौरान,135, नेशनल हाइवे मार्ग में गोंडवाना का काफिला का एक अद्भूत नजारा देखकर लोगों का हौसला बुलंद हुआ। लिहाजा आईना साफ है,कि आने वाले समय में गोंडवाना एक तीसरे शक्ति के रुप में छत्तीसगढ़ में करवट जरुर बदलेगी। कयास है कि जिसे रोक पाना भी आसान नहीं होगा* ।।
छत्तीसगढ़ में गोंडवाना अब तीसरे शक्ति के रुप में
March 3, 2022
673 Views
2 Min Read

You may also like
Mazhar Iqbal #webworld
Indian Journalist Association
https://www.bbc.com/hindi
Follow us on facebook

Live Videos
Breaking News
Advertisements
Advertisements
Recent Posts
- मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल: मोहन यादव की कुर्सी पर संकट गहराया, सीएम हेल्पलाइन भी हुआ ढप्प
- भाजपा सहयोग केंद्र; प्रदेश के राजस्व मंत्री वर्मा की पहल और निर्देश पर आवेदनों का हो रहा त्वरित निराकरण
- राजनांदगांव व डोंगरगढ़ में पर्यटक सूचना केन्द्र प्रारंभ, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने किया लोकार्पण
- बिलासपुर वन विभाग में “भयदोहन का कार्यकाल समाप्त” कर्मचारियों ने मनाया दशहरा
- 01 अक्टूबर से बदल गए स्पीड पोस्ट के नियम, अब मिलेगी ओटीपी आधारित डिलीवरी सुविधा
Advertisements
Advertisements
Our Visitor







Add Comment