रायपुर/14 जून 2021। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित राज्य लक्षद्वीप में जिसकी कुल जनसंख्या लगभग 80 हजार है, वहां मची सियासी बवाल ने पूरे देश की नजरों और विपक्षी दलों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि केंद्र और राज्यों के बीच गतिरोध पैदा करना केंद्र सरकार का पक्षपात पूर्ण रवैया बन चुका है। केंद्र सरकार असुरक्षा, महंगाई, बेरोजगारी, सीमाओं की सुरक्षा, आतंकवाद, भ्रष्टाचार सहित विभिन्न वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने नए-नए हथकंडे अपनाते रहती है। जब जनता केंद्र सरकार से सवाल करती है कि कितने करोड़ बेरोजगारों को रोजगार मिला? गंगा मैया कितनी साफ हुई? मेक इन इंडिया का क्या परिणाम है? डीजल-पेट्रोल कितना सस्ता हुआ? स्टार्टअप इंडिया का क्या हाल है? गुलाबी क्रांति रुकी क्या? नोटबंदी से नक्सलवाद और आतंकवाद की कमर टूटी क्या? कितने बांग्लादेशी खदेड़ गए? तो वे निरूत्तर होते हैं।
भारतीय जनता पार्टी किस तरह शांत राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को अस्थिर कर अपना हित साधने का प्रयास करती है उसका ताजा उदाहरण इन दिनों लक्षद्वीप में स्पष्ट तौर पर देखने में आ रहा है। विशेषकर एक वर्ग विशेष की बहुलता वाले क्षेत्रों का चयन कर अशांति उत्पन्न करना अब इनका शगल बन चुका है। लक्षद्वीप में पर्यटन को विकसित करने के नाम पर प्रशासन के रवैय्ये ने अड़ियल रुख अपनाया हुआ है। वहां संघ के मूल एजेंडे को लागू करने की प्रशासक की नियत और केंद्र सरकार की आंतरिक सहमति से लक्षद्वीप की संस्कृति के साथ कुठाराघात किया जा रहा है। विकास के नाम पर प्रशासन जनता के विचारों, हितों, भावनाओं एवं सामाजिक संरचना के विपरीत एजेंडे को कानूनी रूप देकर नियमों को लागू करना चाहती है। विकास के नाम पर बने नए मसौदे एवं नए नियमों से वहां अशांति, भ्रम और दहशत का वातावरण है।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि मामला महामहिम राष्ट्रपति और माननीय प्रधानमंत्री तक जा चुका है, लेकिन केंद्र सरकार की चुप्पी प्रशासक की वहां की जनता के साथ की जा रही बर्बरतापूर्ण कार्रवाई का समर्थन दर्शाती है। यहां तक कि 93 पूर्व प्रशासकों ने भी लक्षद्वीप के फैसले पर विरोध जताया है और कहा है कि यह नियम द्वीप तथा वहां के निवासियों के विरुद्ध है और एक बड़े एजेंडे का हिस्सा है। कांग्रेस पार्टी ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास“ का नारा देती है किंतु सदैव जनता से विश्वासघात कर अपने हितों और संघ के विचारों को जनता पर लादने पर भरोसा करती है।
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