Chhattisgarh COVID-19

विकास, विश्वास और सुरक्षा की रणनीति को मिल रही कामयाबी: नक्सल क्षेत्रों में पहुंच रही विकास की रोशनी

20 बरस बाद बासागुड़ा और जगरगुंडा में आम लोगों की जिन्दगी में फिर से लौट रही रौनक
बासागुड़ा-तर्रेम सड़क बनने से इलाके के गांव फिर से होने लगे हैं आबाद

बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के बासगुड़ा आम लोगों की जिन्दगी में फिर से रौनक लौट रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल क्षेत्रों में विकास, विश्वास और सुरक्षा की रणनीति से अब इन क्षेत्रों को फिर से विकास की मुख्य धारा में आने का मौका मिल रहा है। राज्य शासन की पहल से ग्रामीणों का बासागुड़ा-तर्रेम पक्की सड़क का सपना साकार हो गया है। इन इलाकों में विकास कार्य प्राथमिकता से किए जा रहे हैं। यही वजह है कि अब इस क्षेत्र के गांवों के ग्रामीण फिर से आकर बसने लगे हैं। लोग खेती किसानी के साथ-साथ वनोपज संग्रहण एवं अन्य जीविकोपार्जन में जुटे हैं। वहीं इस सड़क के जरिए राज्य शासन के लोक कल्याणकारी कार्यक्रमों और मूलभूत सेवाओं को पहुंचाने आसानी हो रही है।

गौरतलब है कि अविभाजित मध्यप्रदेश के दौरान 80 के दशक में बीजापुर बासागुड़ा-जगरगुंडा होकर दोरनापाल तक इस मार्ग पर बसें चला करती थीं और बासागुड़ा एवं जगरगुंडा का बाजार गुलजार रहता था। नक्सलियों ने इस सड़क को जगह-जगह काट दिया था। वहीं पुल-पुलिया को पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिसके चलते इस मार्ग पर आवागमन बंद था। नक्सलियों के दहशत के कारण कई ग्रामीण अपने गांव छोड़कर अन्यत्र चले गये थे, लेकिन अब बासागुड़ा-तर्रेम सड़क बनने सेे इस इलाके के गांवों के विकास को गति मिली रही है और ये गांव फिर से आबाद होने लगे हैं। सड़क बनने से आवागमन सुविधाओं के साथ-साथ इन स्थानों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन, पेजजल, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं पहुंच रही है। सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के बीच बासागुड़ा-तर्रेम सड़क निर्माण के दौरान नक्सलियों ने कई बार जवानों को नुकसान पहुंचाने के लिए घटनाओं को अंजाम दिया। इसके बावजूद सुरक्षा बलों के जवानों के हौसले और सजगता के साथ यह सड़क पूर्ण की गई है।
बासागुड़ा के गांव के बुजुर्ग बताते है कि अविभाजित बस्तर जिले के दौरान 80 के दशक में यह क्षेत्र समृद्ध था, बीजापुर से दोरनापाल तक बसें चला करती थीं और वनोपज-काष्ठ का समुचित दोहन हो रहा था। इस इलाके के किसान अच्छी खेती-किसानी करते थे, वहीं ग्रामीण संग्राहक वनोपज का संग्रहण कर स्थानीय बासागुड़ा बाजार में विक्रय करते थे। बासागुड़ा के बाजार में भी बड़े पैमाने पर वनोपज का कारोबार होता था। लगभग 20 वर्ष पहले नक्सल आतंक के चलते सड़क बंद हो गयी और गांव के गांव वीरान हो गये थे। राज्य शासन की पहल से बासागुड़ा-तर्रेम पक्की सड़क बनने से इलाके में विकास कार्य प्राथमिकता से हो रहे हैं। यही कारण है कि अब इस क्षेत्र के गांवों के ग्रामीण फिर से आकर बसने लगे हैं। बासागुड़ा एक अन्य बुजुर्ग कहना है कि सड़क बन जाने के बाद अब इस क्षेत्र के लोगों में हर्ष व्याप्त है और ग्रामीण शांति एवं अमन-चौन की आस लेकर फिर से खेती किसानी में जुट गए हैं। वनोपज संग्रहण एवं अन्य जीविकोपार्जन साधनों को लोग अपना रहे हैं। क्षेत्र के ग्रामीण सड़क निर्मित करने के साथ-साथ इलाके में विकास कार्य के लिए छत्तीसगढ सरकार को धन्यवाद दे रहे हैं।

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.facebook.com/IndianJournalistAssociation/

Add Comment

Click here to post a comment

Follow us on facebook

Live Videos

Breaking News

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0579475