अभी कोरोना से लोग त्रस्त है केंद्र सरकार रेमडेसीविर इंजेक्शन का सप्लाई कर रही है, लेकिन लोग कतार में खड़े हैं और छत्तीसगढ़ में रेमडेसीविर इंजेक्शन मिल नहीं रहा है। सरकारी हॉस्पिटल हो या प्राइवेट वहाँ के डॉक्टर मना कर रहे हैं कि हमारे पास रेमडेसीविर इंजेक्शन नहीं है, आप बाहर से लाइये क्यों? जब सरकार ने आपको इंजेक्शन दिया है तो मरीज बाहर से क्यों लाएंगे ये इंजेक्शन ?और मरीजों के लिए जो इंजेक्शन दे रहे हैं उसे अवैध ढंग से बाहर बेच दिया जाता है आज रेमडेसीवीर का एक एक इंजेक्शन 15000/- से लेकर 16000/- तक में बिक रहा है, क्यों? क्योंकि हॉस्पिटल वाले इसमें भी पैसे कमाने की सोच रहे हैं, जितनी सप्लाई हो रही है उसको अवैध रूप से बाहर बेचा जा रहा है और गलत ढंग से शो किया जा रहा है कि इतने मरीजों को दिया गया जो कि गलत आंकड़े हैं और इस तरह से कालाबाजारी कर रहे हैं ।
आज मानवता तार-तार हो चुकी है आए दिन पेपर में पढ़ रहे हैं कि कहीं डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्य कर्मी इंजेक्शन को बेचते हुए पकड़ा गए हैं राज्य सरकार इस को चाहती तो नियंत्रण में कर सकती थी, इस तरह से रेमदेसीविर इंजेक्शन का अभाव नहीं होता लेकिन यह कालाबाजारी सिर्फ और सिर्फ पैसों के लिए हो रही है इंसान की जिंदगी का कोई मूल्य नहीं रहा पैसा ही भगवान हो गया है,और भारत के लोगों में एक परंपरा रही है स्टॉक करने की। सबके मन में डर है कि भविष्य में ऑक्सीजन नहीं मिलेगा तो ऑक्सीजन सिलेंडर को स्टॉक करके रख रहे हैं उसी तरह बड़े उद्योगपति करोड़पति लोग रेमडेसीविर इंजेक्शन को स्टॉक में करके रख रहे हैं कि भविष्य में बीमार हो जाय तो इस इंजेक्शन की जरूरत पड़ जाए और यही स्टॉक करने की वजह से आज की स्थिति बद से बदतर हो गई है। जरूरतमंद को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है तो, इंजेक्शन नहीं मिल रहा है और जिसके अभाव में लोग मर रहे हैं। मैं हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि इस तरह स्टॉक ना करें जिसे जितनी जरूरत है उतना ही खरीदें। राज्य सरकार से निवेदन है की स्थिति को नियंत्रित करें करें, कालाबाजारी पर रोक लगाएं, पैसे कमाने का जरिया कुछ और हो सकता है परंतु लोगों की जिंदगी नहीं। मैं सभी दल के लोगों से निवेदन करती हूं कि इस समय कोरोना के विषय में राजनीति ना करें बल्कि मानवता का परिचय देते हैं हुए एक दूसरे का सहयोग करें करो ना ने हमारे बहुत से मित्रों की जान ली है जिसमें सभी दल के लोग शामिल हैं। हमारे दलगत राजनीति में मतभेद सिर्फ विचारों और नीतिगत निर्णयों को लेकर रहती है लोगों को लेकर नहीं, हम नहीं चाहते की लोग स्वर्गवासी हो, जब लोग ही नहीं रहेंगे तो हम किससे नीति की लड़ाई लड़ेंगे और इसीलिए सभी लोग आपस में मिलकर मानवता का परिचय दें और स्थिति को नियंत्रण में लाये।
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