ड्रायवरों की सीधी भर्ती के प्रश्न पत्र लीक होने की अंदेशा, छत्तीसगढ़ वन विभाग के रायपुर डिवीजन में
अलताफ़ हुसैन, रायपुर (छ. ग.)
छत्तीसगढ़ वन विभाग के वो दिन लद गए जब कुछ वर्ष पूर्व कोई भी मैदानी अमला के फॉरेस्ट गार्ड, फॉरेस्टर एवं डिप्टी रेंजर स्तर के वन अधिकारी, कर्म चारी छोटी बड़ी गड़बड़ घोटाला, अनियमितताएं एवं भ्रष्टाचार कर उच्च स्तर के अधिकारियों के लिए कामधेनु बन कर उनकी इच्छाएं पूर्ण कर दुधारू गाय की भूमिका का निर्वहन करते थे और सभी प्रकार के मैनेजमेंट कर बड़ी शान शौकत और ठाठ बाठ से रहते थे परंतु अब वह दिन बहुर गए न वो आन बान रही और न ही वो शान रह गई क्योंकि जब से आधुनिक तकनिक ई कुबेर,का भुगतान होनें से विभागीय कार्य प्रणाली मे अमूलचूल परिवर्तन होने लगा और जो निचले मैदानी अमले के कर्मचारियों से लेकर रेंजर स्तर के अधिकारी तक समस्त काला पीला कर उच्च अधिकारियों की जेब गर्म कर उनके नयन तारा बनते थे अब उनकी पूछ परख नगण्य हो चुकी है सिर्फ वे बिल बाउचर, जैसे कार्य में हस्ताक्षर, करने जैसे आर्थिक व्यवस्थापन की कुंजी बन चुके है जिसकी वजह से वे बहुत सी विकट परिस्थितियों से गुजर रहे है क्योंकि समस्त कार्यों का उच्च स्तरीय केंद्रीय करण कर मुख्यतः वन मंडलाधिकारी
(D.F.O.) व उप वन मंडलाधिकारी (S.D.O.) एवं तनिक व्यवस्था का पॉवर रेंजर तक सीमित कर दिया गया है क्योंकि संपूर्ण विभागीय कार्य कम्प्युटर इंटरनेट पर होने लग गया कोई भी कर्मचारी अपनी कलम फसाना नही चाहता और विभागीय कानूनी दांव पेज व्यवस्था की वजह से बहुत से कार्यों से वे दूरी बनाए रखे हुए है यही वजह है कि लगभग राज्य के सभी वन मण्डलाधिकारी और इनके उपर बैठे आला अधिकारी के हाथों मे समस्त, लेन-देन, भुगतान जैसी अर्थ व्यवस्था की संपूर्ण बागडोर ले ली गई है तब से ही गड़बड़ घोटाला, अनीयमितता, भ्रष्टाचार का ग्राफ छोटे मोटे लाख दो लाख के नही बल्कि दसों
-बीसों लाखों से लेकर करोड़ों का ऊँचा खेल खेला जाने लगा है तथा शासन प्रशासन और आम जन की नज़र इन निचले स्तर के कर्मचरियों तक महदुद्।रह गई है और ख्वामखाह अधिनस्थ कर्मचारी को बलि का बकरा बना दिया जाता है अब इसी कड़ी में धमाकेदार ताजा उदाहरण विगत कुछ माह पूर्व रायपुर जिले अंतर्गत हल्के और भारी वाहन चालकों की सीधी भर्ती प्रकरण का मामला सामने आया है जिसमें लिखित परीक्षा में पेपर लिक होने की बात सामने आ रही है सवाल उठाया जा रहा है कि जब वाहन चालक भर्ती के प्रयोगिक लिखित पेपर लिक हो सकती है तो शंका व्यक्त की जा रही है कि बहुत से प्रति चयनित अभ्यर्थियों से लाखों रुपये लेन देन कर उन्हे चालक पद पर सुशोभित किया जा सकता है जिसमे गणित का गुण भाग करने वाले गणितज्ञ यह अनुमान लगा रहे है कि प्रति व्यक्ति आठ से दस लाख रुपये लेने वाले ने लाखों का नही बल्कि करोड़ों का खेल कर दिया है।
हमारे विश्वसनीय सूत्रों से यह ज्ञात हुआ है कि रायपुर वन मंडल अंतर्गत 14 भारी और 4 हल्के वाहन चालकों की चयनित अभ्यर्थी के रूप में चयन किया गया जिसमे उनके परीक्षा से लेकर चयन प्रक्रिया तक सवाल उठाया जा रहा है हमें प्राप्त दस्तावेज से इस बात का अभास हुआ है कि जब गोपनीय प्रश्न पत्र हमे मिल सकता है तो अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने अन्य अभ्यर्थियों तक उक्त प्रश्न पत्र पहुँच गया होगा इसका अनुमान लगाया जा सकता जबकि ज्ञात हुआ है कि प्रश्न पत्र कोई विभाग के निचले स्तर के कर्मचारियों ने सैट नही किया बल्कि उपर बैठे वरिष्ठ अधिकारियों ने आर.टी.ओ. या यातायात पुलिस विभाग के सहयोग से प्रश्न पत्र को बड़ी गोपनीय तरीके से सेट कर बनाया गया था तथा यह वन मंडल स्तर के अधिकारियों की निगरानी एवं सुरक्षा में कंम्यूटर अथवा लेपटॉप में रखा गया था उसके बावजूद भी प्रश्न पत्र लीक कैसे हो गया ? यह बहुत बड़ा सवाल है जबकि नियम अनुसार परिक्षा हॉल मे किसी भी प्रकार की अनुचित सामाग्री जैसे मोबाइल, लेपटॉप इलेक्ट्रानिक, उपकरण इत्यादि ले जाना सख्त वर्जित था तथा समय अवधि में उसे तत्काल जमा कराना था उसके बावजूद फिर भी पेपर कैसे लीक हुआ और बाहर आया कैसे और आज हम तक भी पहुँच गया यह बहुत बड़ा विचारणीय पक्ष है बताया जाता है बहुत से परिक्षार्थि सही उत्तर देकर शत प्रतिशत सभी प्रश्नों का हल सांकेतिक चिन्ह के मध्यम से बगैर काट छाट के पूर्ण कर लिए और वे चयनित भी हो गए इसका ताजातरीन उदाहरण यह भी माना जा रहा है कि हाल ही बलौदाबाजार वन मण्डल कार्यालय के हलका-भारी वाहन चालकों की सीधी भर्ती में वाहन चालन कौशल परीक्षा वाहन मशीन ज्ञान, की प्रायोगिक परीक्षा ली गई थी जिन्हे बहुत से अभ्यर्थियों को पूर्णांक से अधिक नम्बर दे दिए गए अब यह कैसे हो गया यह वही बात हुई कि अल्लाह मेहरबान, तो गधा पहलवान…. अर्थात बगैर व्यवस्था और सहयोग के यह सब असंभव नही है इसके लिए तत्कालीन वन मण्डल अधिकारी (डी. एफ. ओ.) या उप वन मण्डल अधिकारी से निचले स्तर के किसी लिंक मध्यम से जोड़ तोड़ कर सेटिंग कार्यक्रम किया गया तथा इसकी भनक तक नही लगी परंतु बाद में इसका खुलासा हुआ कुछ इसी प्रकार की लिंक और जोडतोड गुणा भाग रायपुर डिविजन में भी हुआ है विभाग के बहुत से कर्मचारियों के मध्य इस बात को लेकर चर्चा गरम है कि हलके भारी वाहन चालकों की सीधी भर्ती चयन प्रक्रिया में बहुत बड़ा खेल दिख रहा है इस संदर्भ में अरण्य भवन के कुछ विभागीय कर्मचारियों ने सूचना के अधिकार के तहत सीधी भर्ती के संदर्भ मे जानकारी मांगी थी परंतु उन्हे गोल मोल जवाब देकर मामले को शांत कर दिया गया परंतु हमें जिस प्रकार विभागीय प्रश्न पत्र की गोपनीय कॉपी प्राप्त हुई है साथ ही चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी मिली है उसमें बहुत बड़ा खेल दिखाई दे रहा है जिसका सूक्ष्मता से अवलोकन किया जा रहा है तथा बहुत से संदिग्ध नाम लग रहे है जिसकी पुष्टि पश्चात ही उस नाम को प्रकाशित किया जाएगा गौर तलब है कि वन विभाग मे बहुत से वाहन चालक कर्मचारी दैनिक वेतन भोगी के रूप में अनेक वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे है परंतु वन विभाग उनकी सेवाएं को दर किनारा कर नई सीधी भर्ती के पीछे उनकी क्या मंशा है यह समझ से परे है इस संदर्भ में कुछ विभागीय वाहन चालक कर्मचारी का मत है कि सीधी भर्ती के पीछे उपर बैठे अधिकारियों की मंशा अर्थ व्यवस्था सुदृढ करना है और यदि इमानदारी से प्रक्रिया किया गया था तो हमें सूचना के अधिकार 2005 के तहत जवाब प्रस्तुत क्यों नही दिया गया यह बात भी कही जा रही है कि प्रदेश भर में सेकडों अभ्यर्थियों के बीच यदि कुछ अभ्यर्थियों से प्रति आवेदक से आठ से दस लाख रुपये लिया गया होगा तब भी करोड़ दो करोड़ का गड़बड़ी, और फर्जीवाड़ा तो कर ही दिया गया है।
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