17 दिसंबर 2018 को ली छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की शपथ
2013 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली. गुटबाजी में उलझी कांग्रेस को ना केवल उन्होंने साधा बल्कि कांग्रेस की सत्ता की आस में फांस लगाने वालों को भी पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाया। नतीजा ये रहा कि पिछले 15 सालों से सत्ता का वनवास भोग रही कांग्रेस को 2018 विधानसभा चुनाव में छप्पर फाड़कर सीटें मिलीं. पहले साल जहां छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी के नारे को उन्होंने घर –घर पहुंचाया. वहीं छत्तीसगढ़ की संस्कृति और अस्मिता की अलख घर-घर पहुंचाई।
शपथ लेने के डेढ़ घंटे बाद किए थे बड़े ऐलान
शपथ के डेढ़ घंटे बाद ही 16.65 लाख किसानों की कर्जमाफी के आदेश दिए. साथ ही किसानों से 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदी का फैसला किया. फिर चाहे वो बस्तर के लोहांडीगुड़ा में आदिवासियों की जमीन लौटाने का मामला हो या फिर छोटे भूखंडों की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाने का. स्कूल-कॉलेज में सहायक शिक्षक और प्रोफेसर की नियुक्ति का, उनके फैसलों से प्रदेश के हर वर्ग के लोगों को लाभ मिला। झीरम कांड, नान घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित करने के साथ ही पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने का ऐलान भी उन्होंने किया. वहीं प्रदेश की संस्कृति और कला के साथ लोक त्यौहारों पर छुट्टी की सौगात दी. हरेली, तीज, करमा जयंती और छठ त्यौहार की छुट्टी दी गई. बिहार के बाद सिर्फ छत्तीसगढ़ ही ऐसा प्रदेश है, जहां पर छठ पर छुट्टी दी गई है।
कका तो किसी के लिए दाऊ के नाम से जनता ने पुकारा
कका तो किसी के लिए दाऊ, बहनों के लिए भाई तो वहीं किसी के लिए जिम्मेदार बेटे भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ कांग्रेस का वो चेहरा बन गए कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के ये उन चेहरों में शामिल हो गए जिनकी कर्मठता और राजनीति पर पार्टी सबसे ज्यादा भरोसा करती है।
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