Chhattisgarh COVID-19

महिला कानून न जाने किसे-किसे ले डूबेगा अबकी बार जनक डूबा

तरुण कौशिक, प्रदेश कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार

रायपुर/ सरकार और न्यायपालिका ने महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने की सोच को लेकर महिला कानून का गठन कर इसे सख्त बनाए जाने से कई बेकसूरों को सलाखों के पीछे जाना पड़ रहा हैं।आम नागरिक से लेकर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश पर भी इस कानून की आड़ में फस चुके हैं और न जाने महिला कानून किसे – किसे ले डूबेगा लेकिन इस बार महिला कानून की समुंदर ने वरिष्ठ आईएएस अफसर जनक प्रसाद पाठक को ले डूबा।
बिलासपुर संभाग के जांजगीर-चाम्पा जिले के तत्कालीन कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक पर एक महिला ने एनजीओ में काम दिलाने और शिक्षा कर्मी पति को नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी देकर कलेक्टर कार्यालय में ही शारीरिक संबंध बनाकर बलात्कार करने का आरोप लगाया हैं जो इन दिनों राज्य में खूब चर्चा बना हुआ हैं।
राज्य में ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में महिला हित में बने कानून की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं । छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक अफसरों पर महिलाओं द्वारा दैहिक शोषण के साथ ही छेड़छाड़, बलात्कार करने की शिकायत आम हो गई हैं और प्रशासनिक स्तर पर जांच किए जाने के बाद अफसरों के पक्षों में ही फैसला आते हैं परंतु बिलासपुर संभाग के जांजगीर-चाम्पा जिले के तत्कालीन कलेक्टर जनक प्रसाद पाठक पर न जाने क्यों तत्काल एफआईआर दर्ज किया गया। बता दे कि वरिष्ठ आईएएस अफसर जनक प्रसाद पाठक पर एक महिला ने एनजीओ में कार्य
देने के नाम पर कलेक्टर कक्ष के विश्राम कक्ष पर ही शारिरिक संबंध बनाने के साथ ही लगातार बलात्कार करने के साथ ही मोबाइल वाट्सएप में अश्ली फोटोज ,बातचीत करने के आधार पर शिकायत मिलने पर तत्काल एफआईआर दर्ज किया गया और मामले के आते ही सरकार ने इन्हें निलंबित कर किया। अब इस पूरे मुद्दे पर सवाल यहीं उठता हैं कि जब जनक प्रसाद पाठक ने उक्त महिला से पहली बार अपने ही कक्ष पर बलात्कार किया तो शोर शराबा क्यों नहीं की और कलेक्टर के पद से हटने पर ही एकाएक इस मामले का खुलासा करना समझ से परे हैं। निश्चित रुप से कलेक्टर पावरफुल पद हैं मगर इस मामले पर लगातार जनक प्रसाद पाठक द्वारा कार्य करने और शारिरीक संबंध न बनाने की बात पर शिक्षाकर्मी पति को नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी देने के डर से मजबूरी में संबंध बनाने में की बात कहते हुए वाट्सएप में हुए वार्तालाप को साक्ष्य मानकर एफआईआर दर्ज किया गया हैं ।वहीं एनजीओ का कार्य मिलने की लालच पर उक्त शिकायत कर्ता महिला अपनी मनमर्ज़ी से पूर्व कलेक्टर से हमबिस्तर होने की बात होने लगी हैं और स्वार्थ सिद्ध न होने पर महिला ने मामले का खुलासा कर के कलेक्टर की करगुजारियां उजागर किया हैं । वहीं कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारियों का कहना हैं कि जनक प्रसाद पाठक के कक्ष में इस तरह की वारदात जबर्दस्ती की गई थी तो महिला जो पूर्व जनपद पंचायत सदस्य हैं उसे कलेक्टर की हरकत का शुरु दिन ही विरुद्ध करते हुए शोरशराबा करना चाहिए था मगर ऐसा न कर स्वार्थ सिद्ध पूरा करने के लिए महिला कलेक्टर के साथ हमबिस्तर होती रही अगर कलेक्टर पाठक का स्थानांतरण न होता तो शायद इस मामले का खुलासा न हो पाता । अब पूरा मामला पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में जांच की जा रही हैं ,जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सच्चाई क्या हैं पता चलेगा मगर आज इस महिला कानून ने आईएएस अफसर जनक प्रसाद पाठक को ले डूबा और न जाने यह कानून किस -किस को भविष्य में ले डूबेगा। बहरहाल देखना हैं कि इस मामले पर निष्पक्ष जांच होगी या नहीं ?

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