National

बलौदा बाजार के जंगलों में हाथियों का लगा मेला, कई गांवों में अलर्ट, वन विभाग ने बढ़ाई सतर्कता

बलौदा बाजार के जंगलों में हाथियों का लगा मेला, कई गांवों में अलर्ट, वन विभाग ने बढ़ाई सतर्कता

छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार जिले के जंगलों में पिछले कई माह से हाथियों का एक स्थायी दल देखा जा रहा है. वन्यजीव प्रेमियों और स्थानीय ग्रामीणों की जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 27 से 28 हाथियों का दल यहां भ्रमण कर रहा है. इन हाथियों का मूवमेंट बारनवापारा अभ्यारण्य से लगे कोठारी और देवपुर के घने जंगलों में देखा गया है. वनमण्डलाधिकारी ने बताया कि हाल के दिनों में इनका मूवमेंट कोठारी और सोनाखान रेंज के जंगलों की ओर भी बढ़ा है.

वन विभाग के अधिकारियों ने जिले में हाथियों की गतिविधियों पर सतत निगरानी बढ़ा दी है. इसके लिए विभाग ने हाई-टेक कैमरा ट्रैप, मोबाइल पेट्रोलिंग और जीपीएस ट्रैकिंग का सहारा लिया है. विभाग का उद्देश्य हाथियों के भ्रमण को सुरक्षित बनाना और ग्रामीणों और फसलों को होने वाले नुकसान को रोकना है.

हाथियों के प्रमुख भ्रमण क्षेत्र
वनमण्डलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने बताया कि हाथियों का भ्रमण बारनवापारा अभयारण्य और आसपास के घने जंगल, बरनावापारा के आसपास के वन क्षेत्र फिर अब कोठारी, देवपुर और सोनाखान रेंज के जंगल में है. उन्होंने आगे कहा, हमारे पास जिले में कुल 27 हाथियों का दल है. यह हाथी झुंड पिछले कई माह से इस क्षेत्र में रहते आ रहे हैं. जंगलों में उनकी गतिविधि को नियंत्रित करना और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है.

हाथियों के मूवमेंट की निगरानी के लिए विभाग ने जंगलों में विशेष टीम और मोबाइल पेट्रोलिंग तैनात की है. इसके अलावा हाथियों के संभावित मार्गों पर टेम्पररी बैरियर्स और नए रूट्स बनाए जा रहे हैं, ताकि मनुष्यों और हाथियों के बीच होने वाले संघर्ष को कम किया जा सके.

ग्रामीणों को जागरूक करने के उपाय
वन विभाग ने ग्रामीणों को हाथियों के आवागमन के प्रति जागरूक करने के लिए कई कदम उठाए हैं. ग्रामीणों को सुरक्षित दूरी बनाए रखने की सलाह दी जा रही है. रात के समय अंधेरे में घरों से बाहर निकलने से बचने की चेतावनी दी गई है. खेतों और खलिहानों में हाथियों की निकटता को देखते हुए सावधानी बरतने के लिए जानकारी दी जा रही है. व्हाट्सएप ग्रुप और स्थानीय बैठक के माध्यम से भी ग्रामीणों को लगातार अपडेट दिया जा रहा है. हाल ही में हाथियों का झुंड ग्राम पठियापाली के आबादी क्षेत्र में देखा गया. ग्रामीणों को तुरंत सतर्क किया गया और उन्हें समझाया गया कि हाथियों से दूरी बनाए रखें. वन विभाग ने ग्रामीणों से कहा कि रात के समय कोई भी व्यक्ति घर से बाहर न निकले और बच्चों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया.

वन विभाग की तैयारी और रणनीति
वन विभाग ने हाथियों की सुरक्षा के साथ-साथ मानव सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई रणनीतियाँ अपनाई हैं. जंगलों में सुरक्षा टीमों की तैनाती की गई है. जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से हाथियों की लोकेशन का लगातार पता रखा जा रहा है. हाथियों के आवागमन के मार्गों में बाधा निर्माण पर रोक लगाई गई है. विभाग ने हाई-टेक कैमरा ट्रैप लगाकर हाथियों के व्यवहार और गतिविधियों की निगरानी शुरू की है.

डीएफओ गणवीर धम्मशील ने कहा, हाथियों को यहां का जंगल बहुत पसंद है और यही कारण है कि वे बलौदा बाजार जिले में रहते आ रहे हैं. हमारी टीम का लक्ष्य है कि हाथियों का आवागमन सुरक्षित हो और ग्रामीणों और उनकी फसलों को कोई नुकसान न पहुंचे.

हाथियों और स्थानीय किसानों के बीच संघर्ष
जिले में हाथियों की उपस्थिति कई बार ग्रामीणों के लिए चिंता का कारण बन रही है. खेती-बाड़ी वाले क्षेत्रों में हाथियों के प्रवेश से फसलें क्षतिग्रस्त हो रही हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. वन विभाग ने किसानों और ग्रामीणों को समझाया है कि हाथियों के रूट्स को बाधित करने की बजाय, सुरक्षित मार्ग और टेम्पररी बैरियर्स बनाए जाएं. इसके साथ ही ग्रामीणों को यह भी बताया गया कि हाथियों को डराने या उन्हें नुकसान पहुंचाने की बजाय उनकी गतिविधियों पर नजर रखना और विभाग को सूचित करना ही सबसे सुरक्षित तरीका है.

पारिस्थितिक के लिए महत्वपूर्ण हैं हाथी
बलौदा बाजार जिले के जंगलों में लगभग 27-28 हाथियों का दल है. वन्यजीव प्रेमियों और विशेषज्ञों का कहना है कि हाथियों का यह दल स्थायी रूप से जंगलों में निवास कर रहा है, जो जैव विविधता और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है. हाथियों का संरक्षण केवल वन्यजीव संरक्षण का मामला नहीं है, बल्कि यह जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र, स्थानीय जीव-जंतुओं और मानव जीवन की सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है. विभाग ने जंगलों में हाथियों के आवागमन को सुरक्षित रखने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें शिक्षा, जागरूकता और तकनीकी निगरानी शामिल हैं.

भविष्य की योजना में जुटा विभाग
वन विभाग हाथियों के सुरक्षित आवागमन और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए दीर्घकालिक योजना बनाई है. इसके तहत: जंगलों में लगातार जीपीएस ट्रैकिंग और कैमरा ट्रैप निगरानी जारी रहेगी. ग्रामीणों को हाथियों के मार्ग और रात के समय सुरक्षा उपायों की जानकारी नियमित दी जाएगी. विभाग स्थानीय किसानों के साथ सहयोग और जागरूकता कार्यक्रम चलाकर फसल सुरक्षा सुनिश्चित करेगा. नए रूट्स और टेम्पररी बैरियर्स के माध्यम से हाथियों के लिए सुरक्षित मार्ग बनाए जाएंगे. डीएफओ गणवीर धम्मशील ने कहा कि हमारा प्रयास है कि हाथियों और मानव समुदाय के बीच सहयोग और सह-अस्तित्व कायम रहे. ग्रामीणों की सुरक्षा और हाथियों के आवागमन दोनों को ध्यान में रखते हुए हम पूरी टीम के साथ सतर्कता बरत रहे हैं.

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.bbc.com/hindi

Add Comment

Click here to post a comment

Follow us on facebook

Live Videos

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0712509