लोकशन- रायपुर
रिपोर्टर – मज़हर इक़बाल
21 जुलाई 3025
स्लग- लोकसभा में गूंजा छत्तीसगढ़ का पर्यावरणीय मुद्दा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने उठाए पौधारोपण, खनन और परियोजनाओं की स्वीकृति से जुड़े सवाल
लोकसभा के मानसून सत्र की शुरुआत में ही रायपुर सांसद व वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ के वन एवं पर्यावरण से जुड़े अहम मसलों को जोरदार तरीके से संसद में उठाया।
उन्होंने आतरांकित प्रश्न के माध्यम से सरकार से जानना चाहा—
क्या राज्य में पिछले एक दशक में 18 करोड़ पौधे लगाने का दावा किया गया है, और उनमें से कितने पौधे जीवित हैं?
क्या बस्तर, कोरबा और दंतेवाड़ा जैसे खनन प्रभावित क्षेत्रों में वन क्षेत्र घटा है, और क्या ग्राम सभाओं की सहमति ली गई थी?
क्या कई विकास परियोजनाएं पर्यावरणीय मंजूरी के अभाव में वर्षों से रुकी हुई हैं?
अप्रयुक्त भूमि पर वृक्षारोपण के लिए ठोस कार्ययोजना और उसकी सैटेलाइट से निगरानी का क्या प्रावधान है?
इन प्रश्नों का उत्तर देते हुए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने लोकसभा में बताया कि:
2010-11 से 2019-20 के बीच छत्तीसगढ़ में करीब 18 करोड़ पौधे लगाए गए, जिनमें से अधिकांश स्थानों पर उत्तरजीविता दर 90% के आसपास है।
भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार 2013 से 2023 के बीच राज्य के वन क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कमी नहीं, बल्कि अति सघन वन क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
सभी खनन परियोजनाएं वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत पूरी सहमति के बाद ही स्वीकृत हुई हैं।
कोई भी परियोजना 105 दिन की निर्धारित सीमा से अधिक पर्यावरणीय मंजूरी के लिए लंबित नहीं है।
वृक्षारोपण कार्यों की निगरानी के लिए ई-ग्रीन वॉच पोर्टल, जीआईएस आधारित ट्रैकिंग, जियो टैगिंग, और तृतीय पक्ष सत्यापन जैसे आधुनिक तकनीकों का उपयोग हो रहा है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने कहा:
“छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र और पर्यावरण का संतुलन बचाना समय की मांग है। वृक्षारोपण सिर्फ कागज़ों तक सीमित न रहे, इसका जमीनी सत्यापन जरूरी है। खनन के चलते आदिवासी क्षेत्रों के जंगल और जनजीवन प्रभावित न हो—यह सुनिश्चित करना हम सभी की जिम्मेदारी है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे भविष्य में भी छत्तीसगढ़ से जुड़े जनहित और पर्यावरणीय मुद्दों को संसद में पूरी ताकत से उठाते रहेंगे।
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