कांग्रेस पार्टी

बैंक कर्मियों का बैंक बचाओ देश बचाओ आंदोलन देश की आम जनता का आंदोलन- कांग्रेस

रायपुर/15 जुलाई 2021/ कांग्रेस के प्रवक्ता ने बैंक कर्मियों और अधिकारियों के आंदोलन का समर्थन करते हुये कहा है कि बैंक बचाओ देश बचाओ अभियान केवल बैंक कर्मियों का आंदोलन नहीं है, यह तो देश की आम जनता का आंदोलन है। देश के सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपने के सरकार के इरादों को रोकने व सही निर्णय लेने के लिए अपनी आवाज शीर्ष स्तर तक पहुंचाने का प्रयास है। “यह निर्विवाद सत्य है कि सरकारी बैंको का ’निजीकरण’ व्यवस्था नहीं बल्कि पुनः ’रियासतीकरण’ है।“ कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा है कि वर्ष 1969 में जहाँ से चले थे आज मोदी सरकार उसी दिशा में वापिस जा रही हैं जिसके परिणाम बेहद गम्भीर होंगे। सिर्फ देश के हितों के विरुद्ध लाभ और मुनाफे की विशुद्ध वैचारिक सोच है। जब सारे सरकारी संस्थान निजी हाथों में होंगे तो क्या होगा? जब सार्वजनिक बैंक निजी हाथों में होंगे, बैंकों के लूट के लिए जिम्मेवार घराने जब बैंकों के मालिक बन जाएंगे तो सस्ती व ग्रामीण बैंकिंग सेवाओं का क्या होगा? कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा है कि राष्ट्रीय बैंको के लगातार निजीकरण से बढ़ रहे है घोटालें, बैंक बचाओं देश बचाओं केवल बैंक कर्मियों का नहीं जनांदोलन। इंदिरा जी ने बैंको का राष्ट्रीयकरण कर देश के विकास में बैंक की बड़ी भूमिका सुनिश्चित की। मोदी सरकार द्वारा बैंको के अंधाधुध निजीकरण से देश को नुकसान हो रहा है। देश के लोगो को साहूकारो के चुंगल से निकालने और सभी को बैंकिग सुविधा देने के उदेश्य से 19 जुलाई 1969 को भारत की प्रधानमंत्री इंदिरागांधी ने भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था। सही मायने मे यह देश के लिये आर्थिक स्वतंत्रता थी क्योंकि इससे पहले निजी बैंकों के नियमित रूप से दिवालिया होने का काम चलता था और लोगों को अपनी मेहनत की कमाई गंवानी पड़ती थी। राष्ट्रीयकरण के बाद सरकारी बैंकों की शाखाएं देश के कोने-कोने मे फैल गई। सरकारी बैंक चारों ओर विकास का आधार बने। बैंक राष्ट्रीयकरण के 5-6 वर्षो के बाद हमारा देश खादयान्न उत्पादन मे आत्मनिर्भर का और हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, नीली क्रांति संभव हुई। राष्ट्रीयकृत बैंक राष्ट्रीय विकास का हिस्सा बन चुके है और सरकार द्वारा प्रायोजित सभी योजनाओं को सफल बनाने के लिये हमेशा कुशलता से महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को अविकसित से मजबूत विकासशील अर्थव्यवस्था मे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा है कि देश अब राष्ट्रीय बैंक के बिना एक इंच भी आगे नही बढ़ सकता है। इस कोविड महामारी काल के दौरान राष्ट्रीयकृत बैंकों ने फिर से साबित कर दिया कि भारत के विकास ही नहीं जन-जन के दिन प्रतिदिन में जीवन में भी राष्ट्रीयकृत बैंको की अह्म भूमिका है। मोदी सरकार द्वारा लगातार किये जा रहे बैंको के निजीकरण का अर्थ है कि ग्रामीण शाखाएं बंद होगी और बैंक पहले की तरह शहरोन्मुखी हो जायेंगें। ब्याज के मूल्य निर्धारण मे एकाधिकार होगा। आम जनता, वरिष्ठ नागरिक, पेंशनभोगियों को कम ब्याज मिलेगी। सर्विस चार्च बढ़ेगा। कृषि में ब्याज की रियायती दर उपलब्ध नही होगी। सीमांत और छोटे किसान, छोटे व्यवसायी, बेरोजगार युवा, महिला स्वयं सहायता समूहो को गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। छोटे और मध्यम आकार के उदयमियों व्यवसायियों को प्राथमिकता के आधार पर ऋण नही मिलेगा। विद्यार्थियो को शिक्षा ऋण मिलना मुश्किल होगा। बड़े- बड़े पूंजीपतियों को ज्यादा कर्ज देना और न चुकाने पर बटटे खाते मे डालना, जो वर्तमान में मोदी सरकार में चल ही रहा है। ग्राहक सेवा खराब होगी क्योकि ओवर लैपिंग शाखाएं बंद हो जाएगी। बहुत से युवा शिक्षित बेरोजगार होंगे और बेरोजगारी दर बढ़ेगी। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा है कि निजीकरण के बाद बैंको में जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित नही रहेगा क्योकि सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंको को दी गई सॉवरेन गारंटी वापस ले ली जाएगी और राष्ट्रीयकृत बैंकों का मोदी सरकार द्वारा अंधाधुंध गति से किया जा रहा है। निजीकरण आत्मघाती होगा। आज मोदी सरकार में कॉरपोरेटस द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति की संगठित लूट जारी है। देश के एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हम सभी आर्थिक स्वतंत्रता की बिक्री का विरोध करते है।

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