रायपुर/ छत्तीसगढ़ खासकर रायपुर में किसी भी वक्त लाॅकडाउन की आशंका गहरा गई है। एक दिन में अगर इस छोटे से राज्य में दस हजार के करीब रोगी मिलें और रायपुर में ही तीन हजार के करीब तो स्थिति अत्यंत नाजुक नजर आ रही है। सरकार, प्रशासन, स्थानीय निकाय और स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़े लोग और विशेषकर स्वास्थ्य-स्वच्छता से जुड़े अमले के सभी लोगों के निरंतर सहयोग और समर्पण के बाद भी आखिरकार हालात पिछले साल के छह आठ माह पुराने जैसे बदतर हो गए हैं। रायपुर के बाजू के जिले दुर्ग में 6 अप्रैल से लॉकडाउन हो चुका है। उसके आगे राजनांदगांव और बेमेतरा में भी संक्रमण खतरनाक हो गया है। उधर बिलासपुर में भी मारा-मारी की नाैबत है। कुल मिलाकर ये हाल लॉकडाउन की कहानी तैयार कर रहे हैं।
सरकार बचना चाहती है लाॅकडाउन से…
जहां तक राज्य सरकार का सवाल है, पहले ये तय किया गया था कि ये नहीं होगा। लेकिन अगर हालात बिगड़े को उपाय भी लाॅक होगा। एक पक्ष ये भी है कि संक्रमण पर तो किसी तरह काबू पाया जा सकता है, लेकिन लाॅकडाउन करने से सामान्य लोगों की रोजी-रोटी पर जो असर होगा उसकी भरपाई कैसे होगी। शायद यही वजह रही होगी कि राज्य सरकार ने जिलों में कलेक्टर को एलडी पर निर्णय का अधिकार साैंपा है। इस पर भी सवाल हैं।
कलेक्टरों को दिए हैं लाॅकडाउन पर अधिकार – इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का बयान मीडिया में आया है कि- सरकार ने कलेक्टरों को लाॅकडाउन का अधिकार दिया है,उन्हें निर्णय लेना चाहिए। देरी होती जा रही है और देरी करना ठीक नहीं है।
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