Chhattisgarh COVID-19

न अपॉइन्टमेंट, न कतार, मोबाइल मेडिकल यूनिट से हो रहा मिनटों में उपचार

50 दिनों में एमएमयू से एक लाख मरीजों को मिला इलाज
राकेश यादव एक वाहन चालक है। वाहन से समय पर मुसाफिरों को उसके मंजिल तक पहुचाना उसके पेशे का हिस्सा है। समय का पाबंद राकेश के पास फुर्सत ही कहा था कि वह अपने निजी काम के लिए जरूरत से ज्यादा वक्त निकाल सकें। समय के साथ सड़कों पर दौड़ने और मुसाफिरों को मंजिल तक पहुचाने वाला राकेश की अपनी पीड़ा थी। दिनभर वाहन चलाने की वजह से ठण्डी में उसका कमर दर्द बढ़ गया था, इसके बावजूद वह अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा था। वह अपना इलाज तो कराना चाहता था लेकिन कई अस्पतालों में पहले अपाइंटमेंट, फिर इलाज के लिए लंबी कतार उसे अस्पताल तक जाने से मानों रोक दिया करती थीं। ऐसे कई दिन गुजर गए, राकेश के लिए वह समय आया ही नहीं कि वह अधिक समय निकालकर अपना इलाज करा सकें। एक दिन जब वह अपने काम पर निकल रहा था। घर के पास अपने वार्ड में मुख्यमंत्री शहरी स्लम योजना के अंतर्गत मोबाइल मेडिकल यूनिट की बस उसे दिखी। उसके पास बहुत अधिक समय तो था नहीं, इसलिए यह सोचकर बस के पास गया कि, यहां क्या हो रहा है? देख लेता हूं। पास जाकर देखा तो मालूम हुआ कि डाक्टर है। लोग इलाज करा रहे हैं। तब भीड़ कम थी। राकेश ने घड़ी देखी और सोचा,क्यों न कम भीड़ में मौके का फायदा उठाया जाए। वह तुरंत मोबाइल मेडिकल यूनिट के पास पहुंचा और अपना पंजीयन कराया। उसने अपनी तकलीफ बताई। मौके पर मौजूद डाक्टरों ने राकेश की समस्या सुनी और तत्काल ही कमर दर्द की दवा और मलहम उसे दिया। मोबाइल मेडिकल यूनिट से चंद मिनटों में ही जांच और दवा मिल जाने और इलाज में उसका कीमती समय बर्बाद नहीं होने पर राकेश का जैसे खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना की जमकर प्रशंसा की और कहा कि वास्तव में मुझ जैसे जरूरतमंदों के लिए यह बहुत ही लाभकारी हैं। प्रोफेसर कालोनी रायपुर में रहने वाले राकेश यादव ने बताया कि उनके वार्ड में जब मोबाइल मेडिकल यूनिट की टीम पहुंची तो उसने भी अपने कमर दर्द का उपचार कराया। यहां डाक्टरों ने उसकी समस्या को सुनकर दवाइयां दी और मलहम लगाने को कहा। मोबाइल मेडिकल यूनिट टीम के माध्यम से राकेश को बहुत राहत मिली। उसने बताया कि वह बहुत व्यस्त रहता है। ऐसे में बिना किसी डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिए, बिना कतार में लगे और बिना परामर्श शुल्क दिए आसानी से उपचार करा पा रहा है, वह उसके लिए बहुत बड़ी राहत की बात है।
इसी तरह पेशे से इलेक्ट्रीशियन नेरन्द्र कुमार सोनी को बीपी और शुगर की समस्या थी। वह निजी अस्पताल के क्लीनिक में अपनी जांच के लिए हमेशा पैसे खर्च करता था। आज जब अपने घर के पास वार्ड में मोबाइल मेडिकल यूनिट की टीम को देखा तो तत्काल वहां पहुचकर अपना जांच कराया। नरेन्द्र से बिना कोई शुल्क लिए डाक्टरों ने उसके बीपी ,शुगर की जांच की और दवाइयां दी। अपना इलाज बिना पैसे के आसान तरीके से घर के पास ही हो जाने पर नरेन्द्र ने मुख्यमंत्री शहरी स्लम योजना की जमकर तारीफ की और कहा कि गरीब व्यक्तियों का मुफ्त में उनके ही घर के पास उपचार करने का यह तरीका बहुत ही सराहनीय है।
1900 कैंपों में एक लाख से अधिक का उपचार, 86 हजार को दवा वितरित – मुुख्यमंत्री भूपेश बघेल और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया द्वारा राज्य स्थापना दिवस एक नवंबर 2020 को मोबाइल मेडिकल यूनिट का शुभारंभ किए जाने बाद अभी तक 1900 शिविर प्रदेश के 14 नगर निगमों में लगाए जा चुके हैं। इन 1900 शिविरों में एक लाख से अधिक मरीजों का स्वास्थ्य जांच कर लाभान्वित किया गया है। रायपुर में सबसे अधिक 575 शिविर में 29 हजार से अधिक मरीज लाभान्वित हुए है और 25 हजार से अधिक मरीजों को दवा का वितरण किया गया है। कोरबा में 179 कैंप में 8488, बिलासपुर में 168 कैंप में 12011, दुर्ग में 159 कैंप में 8497 और राजनांदगांव में 166 शिविर में 7392 मरीज लाभान्वित हुए हैं। खास बात यह भी है कि इन 1900 कैंपों में लगभग 25 हजार मरीजों का लैब टेस्ट भी हुआ है। नगरीय प्रशासन विभाग अंतर्गत मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना झुग्गी इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित हो रही है।

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