COVID-19 United Nations

स्कूल बन्द करना, कोविड-19 के ख़िलाफ़ रणनीति में ग़लत क़दम, यूनीसेफ़

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने कहा है कि जो देश कोरोनावायरस महामारी का मुक़ाबला कर रहे हैं, वो इन प्रयासों के तहत राष्ट्रीय स्तर पर या बड़े पैमाने पर स्कूल बन्द करने का रास्ता ना अपनाएँ क्योंकि ये महामारी से लड़ने का ग़लत तरीक़ा है और इसके सामाजिक स्तर पर बहुत गम्भीर नुक़सान हैं.
एजेंसी के मुताबिक़, दिसम्बर महीना शुरू होते समय, लगभग 32 करोड़ बच्चे स्कूलों से बाहर थे. यूनीसेफ़ के वैश्विक शिक्षा प्रमुख रॉबर्ट जेनकिन्स ने कहा है, “कोविड-19 महामारी के दौरान हमने जो कुछ सीखा वो स्पष्टतः ये है: स्कूल खुले रखने के फ़ायदे, उन्हें बन्द रखने से होने वाले नुक़सान की तुलना में कहीं ज़्यादा हैं, और राष्ट्रीय स्तर पर स्कूल बन्द रखने से, हर क़ीमत पर बचा जाना चाहिये.”
यूनीसेफ़ का कहना है कि स्कूल बन्द रखने से कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में कोई मदद नहीं मिली है, अलबत्ता, एक ऐसी व्यवस्था को हटा दिया गया है जिसमें बच्चों को सहायता व समर्थन, भोजन व सुरक्षा के साथ-साथ शिक्षा हासिल करने का मौक़ा मिलता है. इसलिये, सरकारों को स्कूल बन्द करने के बजाय, उन्हें खोलना प्राथमिकता पर होना चाहिये और कक्षाओं को यथासम्भव बनाने की कोशिश की जानी चाहिये.
स्कूलों को बलि का बकरा ना बनाएँ
रॉबर्ट जेनकिन्स का कहना है, “सबूतों से नज़र आता है कि स्कूल, इस महामारी के फैलने के मुख्य केन्द्र नहीं हैं. इसके बावजूद, हम चिन्ताजनक चलन देख रहे हैं कि सरकारें एक बार फिर, स्कूलों को पहले ही उपाय के रूप में बन्द करने पर तुली हुई हैं, जबकि, स्कूलों को आख़िरी उपाय के तहत बन्द किया जाना चाहिये.”
“कुछ मामलों में, स्थानीय समूदायों के बजाय, पूरे देश में, स्कूल बन्द किये जा रहे हैं, और बच्चों को अपनी शिक्षा, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव भुगतने पड़ रहे हैं.”
यूएन बाल एजेंसी के अनुसार नवम्बर महीने में, स्कूल बन्द रहने से प्रभावित होने वाले बच्चों की संख्या में 38 प्रतिशत बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, जबकि उससे पहले के महीने में बड़े पैमाने पर स्कूल खोले गए थे.
एजेंसी के वैश्विक शिक्षा अधिकारी रॉबर्ट जेनकिन्स का कहना है, “कोविड-19, सामुदायिक संक्रमण में स्कूलों की भूमिका, और स्कूलों में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिये क्या क़दम उठाए जा सकते हैं, इन सबके बारे में हमने जो कुछ भी जाना-समझा है, उसके बावजूद हम, ग़लत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं – और ऐसी बहुत जल्दबाज़ी के साथ किया जा रहा है.”
शिक्षा उपलब्धता का दायरा – यूनीसेफ़ का कहनाह कि तालाबन्दी ख़त्म करके व्यवस्थाओं और प्रणालियों को फिर से खोलने की योजनाएँ में शिक्षा की उपलब्धता का बढ़ा हुआ दायरा भी शामिल होना चाहिये, इसमें, दूरस्थ शिक्षा और ऐसी शिक्षा प्रणालियों का निर्माण भी हो, जो भविष्य के संकटों का सामना करने में सक्षम हों.
एजेंसी ने हाल ही में, 191 देशों से एकत्र किये आँकड़ों के आधार पर तैयार किये गए एक अध्ययन का हवाला भी दिया जिसे एक स्वतन्त्र और लाभ-विहीन संस्थान ने प्रकाशित किया है जिसका नाम है – Insights for Education.
इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि समुदायों में कोविड-19 के संक्रमण और स्कूलों की स्थिति के बीच कोई सम्बन्ध नहीं पाया गया.
यूनीसेफ़ ने, यूनेस्को, यूएन शरणार्थी एजेंसी – UNHCR, विश्व खाद्य कार्यक्रम – WFP और विश्व बैंक के साथ मिलकर, स्कूल खोले जाने के बारे में एक फ्रेमवर्क प्रकाशित किया है. इसमें कुछ ज़मीनी सुझाव दिये गए हैं जिनमें नीतिगत सुधार, ज़रूरतों के लिये वित्तीय संसाधन मुहैया कराना, सुरक्षित कामकाज और हाशिये पर रहने वाले बच्चों तक पहुँच क़ायम करने के सुझाव शामिल हैं. इन्हें बच्चों के स्कूली शिक्षा से बाहर रह जाने की ज़्यादा सम्भावना होती है.

Live Videos

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0507823