रमाकांत मिश्र, स्वतंत्र पत्रकार, सरगांव जिला बिलासपुर
कोरोना संक्रमण के चलते सर्वाधिक आर्थिक नुकसान यदि किसी वर्ग को हुआ है तो वह मिडिल क्लास वर्ग ही है इस बात को लेकर जनता की तमाम तकलीफ को माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के समक्ष में छत्तीसगढ़ी एकता मंच के माध्यम से वरिष्ठ पत्रकार एवं डीसेंट रायपुर के कार्यकारी संपादक तरुण कौशिक के द्वारा तमाम मुद्दों पर पत्र लिखकर मुख्यमंत्री जी का ध्यानाकर्षण चाहा है तरुण कौशिक ने सर्वाधिक महत्वपूर्ण विषय आबादी पट्टे को लेकर आम जनता की वर्तमान तकलीफ को सामने लाने का कार्य किया है उसके अलावा आम जनता जिस संकट से जूझ रही है उन सभी मुद्दों को लेकर अलग-अलग पक्ष पर तरुण कौशिक ने अत्यंत मुखर और तर्कपूर्ण औचित्य विस्थापन का कार्य किया है उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि कोरोना के चलते जहां एक और अपर क्लास अपनी संचित जमा पूंजी और अब तक के बचाए गए संसाधनों से बगैर किसी विशेष आर्थिक संकट का सामना कर भी खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है वहीं दूसरी ओर गरीबों के जीवन यापन के सारे संसाधन सरकार मुहैया करा रही है लेकिन इस संवादों से सबसे ज्यादा नुकसान यदि किसी को हुआ है तो वह मिडिल क्लास हैइस महत्वपर्ण मुद्दे को लेकर तरुणकौशिक के द्वारा मिडिल क्लास से जुड़े हुए विभिन्न अलग-अलग लोगों के आर्थिक संकट से जूझने के वास्तविक हकीकत को जानने का प्रयास किया गया तब यह बात खुलकर सामने आई की वास्तव में मिडिल क्लास के सामने अनेकों दुश्वारियां अपने जीवन यापन को लेकर शुरू से मौजूद है उसे किसी प्रकार की कोई आर्थिक मदद भी नहीं दी जा रही है गरीबों का काम धंधा भले ही छूट गया हो लेकिन उसे अनाज आने वाले महीनों में केंद्र सरकार ने उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है वहीं दूसरी ओर सर्वाधिक नुकसान झलता मिडिल क्लास बात की चिंता में दुबला होता जा रहा है कि उसे तीन चार महीने के एक साथ बिजली के बिल का भुगतान करना है महंगे डीजल पेट्रोल के दामों से लड़ना है अचानक महंगी हो जाने वाली और सस्ती हो जाने वाली सब्जियों से उसकी आर्थिक हालात उठती गिरती अर्थव्यवस्था जैसी हो गई है किंतु अन्य कोई भी ऐसी वस्तु नहीं है जिसे वह महंगे दामों पर खरीदने को मजबूर नहीं है वहीं दूसरी ओर सरकार के तमाम टैक्स उसे इसी वक्त देने हैं क्योंकि सरकार को भी लगता है लिखो रोना आर्थिक संकट के समय में जनता को एक्स्ट्रा पैकेज देने या कुछ अन्य कारणों से उनका खजाना खाली हो रहा है जिसकी भरपाई एक साथ मिडिल क्लास से वसूली करके कर सकती है स्कूल ना लगने पर भी बच्चों की महंगी फीस भी उसी मिडिल क्लास को देनी है । राशन मकान का किराया घर का टैक्स सहित अन्य टैक्स की मार से गंभीर आर्थिक झंझावात में फंसा मिडिल क्लास की कमर टूट चुकी हैl हालात बद से बदतर है फिर भी सरकार किसी मामले में उसे रियायत नहीं देना चाहती हैं। तमाम ऐसे मिडिल क्लास हैं जिनसे लोक सर मीडिया रूबरू हुआ और उनकी तमाम बातों को जानने की कोशिश की तब उनका यह दर्द खुलकर सामने आया जिसे सरकार अब तक तरजीह नहीं देती थी ऐसे समय में मिडिल क्लास नौकरी वर्ग की बात छोड़ दें लेकिन छोटे-मोटे व्यापारी छोटा मोटा काम करने वाले मध्यम मुर्गी के सामने घोर आर्थिक संकट है पूर्व में संचित किए गए धनराशि को भी धीरे-धीरे व खर्च कर चुका है अब इसके पश्चात जिस तरह के आर्थिक संकट और हालात पैदा होने वाले हैं। वह भगवान भरोसे ही है। बहुत से व्यापारियों का कहना है कि नगर पंचायत के द्वारा व्यापार करने के लिए व्यापारी को पंजीकृत करने के पीछे आर्थिक रूप से मध्य मरगी व्यापारियों से वसूली करने का एक षडयंत्र पूर्वक एजेंडा काम कर रहा है। ऐसे समय में जब बाजार की पूरी ग्राहकी तरीके से टूट चुकी है मिडिल क्लास आखिर कहां जाए।
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