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द न्यूयॉर्क टाइम्स में छपा मोदी का लेख, पीएम ने दिया ‘आइंस्टीन चैलेंज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स में एक आर्टिकल लिखा। पीएम मोदी ने गांधी के आदर्शों को अमर बनाने के लिए ‘आइंस्टीन चैलेंज’ दिया।मोदी के मुताबिक, आने वाली पीढ़ियां गांधीजी के आदर्शों को याद रखें, इसके लिए सभी को यह चुनौती लेनी होगी। पढ़िए ‘भारत और दुनिया को क्यों गांधी की जरूरत है’ शीर्षक से लिखे लेख में पीएम मोदी की लिखी बड़ी बातें –
‘गांधी सर्वश्रेष्ठ अध्यापक और मार्गदर्शक थे। ऐसे मार्गदर्शक जिन्होंने दुनियाभर में करोड़ों लोगों को हिम्मत दी और मानवता में विश्वास रखने वालों को एक सूत्र में पिरोया। मैं अपील करता हूं कि घृणा, हिंसा और उत्पीड़न के अंत के लिए दुनिया कंधे से कंधा मिलाकर काम करे। इस तरह हम गांधी के सपनों को साकार कर पाएंगे और उनके सबसे पसंदीदा भजन “वैष्णव जन तो…” को चरितार्थ कर सकेंगे। यह भजन कहता है कि सच्चा मानव वही है जो दूसरों के दर्द को समझता है, उनके कष्ट मिटाता है और कभी अहंकार नहीं करता। दुनिया आपको नमन करती है प्यारे बापू।’
‘गांधी के लिए आजादी का अर्थ केवल बाहरी शासन से मुक्ति नहीं था, बल्कि वह राजनीतिक आजादी और निजी सशक्तीकरण के पैरोकार थे। उन्होंने एक ऐसी दुनिया की कल्पना की थी जहां हर नागरिक के पास सम्मान व समृद्धि हो। उनके विचारों से प्रेरित होकर हमें स्वामित्व के बारे में सोचना चाहिए। उत्तराधिकारी के रूप में धरती पर आए हम लोग यहां की खुशहाली के जिम्मेदार हैं। इस खुशहाली में सभी जीव-जंतु शामिल होने चाहिए, जो हमारे साथ इस पृथ्वी पर रहते हैं।’
‘गांधी का राष्ट्रवाद संकीर्ण नहीं था। गांधी में मानव समाज की कुछ सर्वाधिक जटिल परिस्थितियों के बीच में पुल बनने की क्षमता थी। उन्होंने समाज के हर वर्ग के बीच भरोसा पैदा किया था। और किसने चरखा, खादी और भारतीय कपड़े को आर्थिक स्वावलंबन और देश से सशक्तीकरण से जोड़कर देखा? किसने एक चुटकी नमक से जन आंदोलन पैदा किया था। आजादी के लिए दुनिया में बहुत से आंदोलन हुए हैं, लेकिन इतना जन समर्थन किसी को नहीं मिला, जितना गांधी के साथ था।’

क्या है आइंस्टीन चैलेंज
पीएम मोदी ने लिखा, ‘गांधी को श्रद्धांजलि के तौर पर मैं सबके सामने आइंस्टीन चैलेंज रखना चाहता हूं। गांधी के बारे में आइंस्टीन ने कहा था कि आने वाली पीढ़ियां यकीन नहीं कर पाएंगी कि धरती पर हाड़-मांस का एक ऐसा भी इंसान रहा था। हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि आगामी पीढ़ियां गांधी के आदर्शों को याद रखें? मैं विचारकों, उद्यमियों और टेक्नोलॉजी के दिग्गजों से अपील करता हूं कि वे आगे आएं और इनोवेशन के जरिए गांधी के विचारों को फैलाएं।’

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