Chhattisgarh

प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी नेचरल सफारी मोहरेंगा में पर्यटकों को आकर्षित करने बनेगा बायोडायवर्सिटी पार्क

अलताफ हुसैन
रायपुर / जंगल अर्थात एक ही स्थान पर लगभग दो सौ वृक्षों का ऐसा झुंड जो वन की श्रेणी में आता है ऐसे हरियाली युक्त वृक्षों का विशाल सघन क्षेत्र के संरक्षण उसकी सुरक्षा सबसे बड़ी मायने रखती है क्योंकि वर्ष दो हजार के पूर्व वन विभग ऐसे बिगड़े वन क्षेत्रों का चयन कर उसके संरक्षण और संवर्धन कार्य को बखूबी अंजाम दे रहा था तात्कालिक वर्ष मे विभाग को अनेक जन विरोध का सामना भी करना पड़ा था यही नही वन क्षेत्रों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु यदा कदा कोर्ट के संरक्षण में भी विभागीय लड़ाई लड़नी पड़ी पश्चात उसके सुखद परिणाम भी सामने आए आज वही वन क्षेत्र मानव जीवन के लिए वरदान एवं वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक वातावरण में निवास का मूल कारण भी बन गया है। बात यहां रायपुर से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्रिय दर्शिनी इंदिरा गांधी नेचरल सफारी मोहरेंगा की हो रही है जहाँ वर्ष दो हजार के पूर्व लगभग 16 किलोमीटर के वृह्द भूभाग में फैले प्राकृतिक वनों का दोहन मानव द्वारा खुलकर किया जा रहा था अनेक ग्रामीणों के द्वारा अतिक्रमण एवं वन्य प्राणियों का शिकार भी द्रुत गति पर जोरो पर था मोहरेंगा वन के लगातार दोहन एव उसके घटते रकबे से चिंतित तात्कालिक क्षेत्र के प्रभारी सैय्यद अली ने रायपुर वन मंडल के तात्कालिक CCF राकेश चतुर्वेदी साहब को समस्त कारणों से अवगत करवाया तब उनके दिशा निर्देश पर उपेक्षित मोहरेंगा वन क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन हेतु कार्य योजना निर्माण की गई परन्तु इसके पूर्व आसपास वन क्षेत्र में हो चुके अतिक्रमण एवं ग्रामीणों के विरोध के चलते उन्हें वन भूमि से बे दखल करना एक बहुत बड़ी चुनौती पूर्ण कार्य था पुलिस और संगीन के साए में छुटपुट झड़प एवं रिपोर्ट, कोर्ट के लंबी लड़ाई पश्चात मोहरेंगा प्राकृतिक वन अंततः वन विभाग को प्राप्त हो गया मोहरेंगा वन भूमि के विस्तृत भूभाग जो चारों ओर से ग्रामीण क्षेत्रों और मानव आबादी से जुड़ा हुआ था जिसके चलते इसके संरक्षण एवं वन्य प्राणियों के सुरक्षा का सर्वाधिक बड़ा सवाल था तब तात्कालिक अधिकारियों ने इसका क्या उपयोग सुनिश्चित किया जाए। अब यहां स्थानीय पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी आकर्षित हो रहे है श्री झा साहब बताते है पर्यटन स्थल की दृष्टिकोण से पर्यटकों के सुविधा के लिए विशेष बायोडायवर्सिटी पार्क का कार्ययोजना प्रारूप तैयार किया गया है जो इसी वर्ष अंत तक वन क्षेत्र मोहरेंगा में प्रारंभ कर दिया जाएगा रायपुर वन मंडल के उप वन मण्डलाधिकारी श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब का इस संदर्भ में नजरिया है कि स्व. इंदिरा गांधी नेचरल सफारी केवल पर्यटकों के भ्रमण मात्र न रह जाए इसके लिए अन्य सुविधाएं विकसित किए जाने पर कार्य प्रारंभ किया जा रहा है पर्यटकों की सुविधा बढ़ाए जाने में मुख्यतः उन के परिवारिक सदस्यों एवं बच्चों के लिए खानपान,सहित ठहरने एवं कुछ पल सुकून से व्यतीत करने हेतु पगोडे एवं अन्य खुला बातावरण विकसित किया जाएगा जिससे आगन्तुक परिवार दिन भर क्षेत्र में छुट्टी का आनंद ले सके साथ ही बच्चों के खेल उपकरण जैसे फिसलपट्टी,झूला,इत्यादि भी लगाए जाएंगे जो पर्यटकों के आनंद, उत्साह को दोगुना कर सके वन्य प्राणियों के पेयजल एवं उनकी सुरक्षा हेतु जल संघरण हेतु पृथक कैम्प मद से योजना तैयार की गई है इसके लिए पृथक बीस एकड़ भूभाग लगभग आरक्षित किया गया है जो संभवत पार्क वन्य प्राणियों एवं उनकी सुरक्षा की दृष्टिकोण से काफी अलग एवं सुरक्षित रखा जाएगा इसके लिए पूरा मॉडल नक्शा तैयार किया जा चुका है उप वन मण्डलाधिकारी श्री विश्वनाथ मुखर्जी साहब आगे कहते है कि वनों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है इसके लिए कैम्पा मद से लगभग 16 किलोमीटर दायरे को चैन लिंक फेंसिंग से सुरक्षित किया जा चुका है वह भी चट्टानों के वॉल निर्माण कर फेंसिंग की गई। इसकी वजह वे बताते है कि जंगली वराह अनेक मर्तबा मुंह से गड्ढे करता है जिससे गड्ढा बड़ा होने पर वह अन्यंत्र जा सकता है इसी दृषिकोण से उसे मजबूती प्रदान की गई है यह सब वह प्रजनन के समय करता है ताकि सुरक्षित स्थान पर बच्चे को जन्म दे सके श्री मुखर्जी साहब बताते है कि सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है साथ ही वन एवं वन्य प्राणियों की सुरक्षा से दोनों ही संरक्षित हो संवर्धित हो सके अब मोहरेंगा वन एक सघन वन का आकार ले चुका है मानव दखल एवं निस्तारी कम होने से वन्य प्राणियों की वंश वृद्धि में भी आशाजनक परिणाम सामने आए है चीतल की संख्या लगभग आठ सौ से ऊपर हो चुकी है पूर्व में इनकी संख्या मात्र सौ डेढ सौ थी अब पर्यटकों के सफारी में प्रवेश करते ही उन्हें खुले वातावरण में झुंड के साथ प्रत्येक मोड़ पर चीतल कुलांचे भरते दिख जाते है जिन्हें देख पर्यटक खुशी से आल्हादित होते है जो हमारे कार्यों के प्रति निष्ठा, प्रतिबद्धता, को दर्शाती है वनों के विस्तार एवं उनकी सुरक्षा का सर्वाधिक महती दायित्व यदि किसी पर होता है तो वह मैदानी स्तर पर डटे कथित क्षेत्र के प्रभारी पर होता है। यह शाश्वत सत्य भी है वरिष्ठ अधिकारियों जिनमे मुख्यतः युवा ऊर्जावान डीएफओ श्री विश्वेश कुमार झा साहब की नई सोच ,लंबे समय के अनुभवी अधिकारी एसडीओ श्री मुखर्जी साहब का कुशल मार्गदर्शन, एवं जीवट जुझारू प्रवृत्ति के मैदानी वनपुत्र डिप्टी दीपक तिवारी के द्वारा कर्तव्य निष्ठा से किए जा रहे कार्यों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वो अपने नाम के मायनों को सार्थक कर रहे हो। जो मानव द्वारा लगातार हो रहे अतिक्रमण एवं खंडित हो रहे वनों के अस्तित्व के संरक्षण संवर्धन में विश्वा के अवतार के रूप में विश्वनाथ की भूमिका निभाते हुए वनों की आभायुक्क्त घटते बुझते दीपक को अपने कर्तव्य दायित्वों, निष्ठा पूर्ण कर्मों के माध्यम से उजड़े हुए वनों में संरक्षण संवर्धन एवं उसके अस्तित्व बचाने की जद्दो जहद में जीवन का संपूर्ण ऊर्जा लगाकर सुनी धरती की गोद को फिर से हरियाली की आभा बिखेरने दैदीप्यमान हो रहे हो और ये उनके ही अथक सफल प्रयास का परिणाम कहा जा सकता है कि आज पर्यटक स्व.इंदिरा गांधी नेचरल पार्क मोहरेंगा के मध्य स्थित निर्मित पचास फीट ऊंचे टॉवर में पहुंच कर जब लगभग 16 किलोमीटर दूर तक फैले मनमोहक, अद्वितीय, प्राकृतिक वन की छटा को निहारता है तो उसे हरीतिमा चादर ओढ़े धरती मां की गोद मे बैठा स्वयं को महसूस करता है बार बार ऐसे प्राकृतिक छटा बिखेरते दृश्य जो अकल्पनीय ईश्वरीय संरचना की मुक्त कंठ से भूरि भूरि प्रशंसा करता है और ऐसे ईश्वरीय निर्माण के समक्ष नत मस्तक होकर उसके द्वारा मानव को प्रदत्त अनमोल उपहार के लिए उसका धन्यवाद करना नही भूलता उस मानव को ही स्वयं सुनिश्चित करना है कि जो धरती माँ हमें अन्न से लेकर धन तक सर्वस्व प्रदान करती है उस धरती माँ के श्रृंगार रूपी हरित चादर ओढ़े रहने में उसकी सहायक पेड़ पौधों का संरक्षण करना है या उसे समूल नष्ट कर श्रृंगार विहीन कर उजाड़ करना है यह प्राकृतिक एवं पर्यावरण, प्रेमियों को अब सोचना होगा।

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